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इस कार्य को आगे बढाने के लिए विशेष रूप से आगे आएं और तन-मन से इसमें जुट जाएं। अणुव्रत : एक कठिन यात्रा
आपको यह ध्यान में रहना चाहिए कि अणुव्रत-आंदोलन अपने शैशव को पार कर चुका है। वैसे शैशव बड़ी मुश्किल से निकलता है। माताएं जानती हैं कि बच्चे का पालन कितनी मुश्किल से होता है। पर अणुव्रत-आंदोलन ने बिना बहुत अधिक कठिनाई का सामना किए शैशव पार कर लिया है। इसके साथ ही मैं ऐसा भी नहीं मानता कि उसने कोई बहुत बड़ी सफलता प्राप्त की है। वैसे इसका जैसा कार्य है, उसका अंकन करना सहज बात नहीं है। यदि इसमें कोई अर्थ-संग्रह की बात होती तो सफलता का कुछ अंकन हो सकता था। पर यह तो व्यक्ति-व्यक्ति के विचार और आचार को मांजने का कार्यक्रम है, जीवन को परिष्कृत बनाने का उपक्रम है । स्पष्ट है, यह एक कठिन यात्रा है। मैं मानता हूं, आज जितने भी आंदोलन चल रहे हैं, उनमें अणुव्रत-आंदोलन इस अपेक्षा से सबसे कठिन है। दूसरे-दूसरे आंदोलनों या कार्यक्रमों में सदस्य बनने, कुछ अर्थ-दान करने या समय देने से ही काम चल जाता है, पर इस कार्यक्रम में तो व्यक्ति को अपनेआपको बदलना पड़ता है, अपने असद् विचारों एवं बुरी आदतों को छोड़ना होता है। उदाहरणार्थ अभी किसी व्यक्ति को दस-बीस रुपये देने की बात कही जाए तो संभवतः वह उसके लिए तैयार हो जाएगा। हालांकि बहुतसारे व्यक्तियों के लिए रुपया देना भी मुश्किल होता है । पर उससे भी बहुत मुश्किल है, अपनी एक दुष्प्रवृत्ति को त्यागना, अपनी आदत को बदलना । और जब एक गलत आदत को छोड़ना, एक वृत्ति को बदलना भी इतना मुश्किल है, तब जीवन का आमूलचूल परिवर्तन करना कितना मुश्किल है, इसकी कल्पना आप स्वयं कर सकते हैं। यह स्थिति उन लोगों की इस शिकायत का समाधान है कि अब तक अणुव्रत-आन्दोलन का प्रसार कम हो पाया है। आगे भी यह कार्यक्रम बहुत तेज गति से चलेगा, ऐसा संभव प्रतीत नहीं होता। पर इसके उपरान्त भी हमारे लिए निराशा की कोई बात नहीं है। हमें अपना प्रयास पूरी निष्ठा के साथ करना है। फल की ओर हम नहीं देखते। हमारा काम कर्तव्य करना है। उससे हमें विमुख नहीं होना
अणुव्रत-आंदोलन और कार्यकर्ताओं की कार्यदिशा
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