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परिस्थिति-बदलाव और हृदय-परिवर्तन
लोग यह आशंका भी कर सकते हैं कि परिस्थितियों के सुधरे बिना, समाज का वातावरण शुद्ध हुए बिना आखिर व्यक्ति का सुधार कैसे संभव होगा ? इस बात को मैं एक सीमा तक सही भी मानता हूं और एक सीमा तक सही नहीं भी मानता। सही तो इस अर्थ में कि सभी व्यक्तियों में परिस्थितियों से मुकाबला करने, लड़ने की क्षमता नहीं होती। पर परिस्थितियां अनुकूल न बनें, समाज का वातावरण न सुधरे, तब तक हम व्यक्ति की नीतिनिष्ठा एवं चारित्रिक उज्ज्वलता की प्रतीक्षा करते रहें, यह भी उचित नहीं लगता। परिस्थितियों को अनुकूल बनाने और सामाजिक वातावरण को सुधारने की ओर बहुत सारे लोगों का ध्यान केन्द्रित हुआ है और वे इस दिशा में कार्य करने की दृष्टि से सक्रिय भी बन रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम अपने व्यक्ति-सुधार के कार्यक्रम को बंद क्यों करें। वे अपना काम करते हैं, हमें अपना काम करना चाहिए। और यह कार्य-विभाजन आवश्यक भी है, क्योंकि एक ही व्यक्ति या वर्ग सारे कार्य नहीं कर सकता। सबके अपनेअपने कार्य-क्षेत्र होते हैं। हमारा कार्य-क्षेत्र हृदय-परिवर्तन का है, मानवनिर्माण का है, जीवन-निर्माण का है। अतः जब तक परिस्थितियां अनुकूल बनें, समाजिक वातावरण सुधरे, तब तक हम अपने कार्य को स्थगित नहीं कर सकते। हमने सुचिन्तित रूप से जो कार्य अपने हाथ में लिया है, उसे हमें पूरा करना है। हमारा यह दृढ विश्वास होना चाहिए कि व्रत के सहारे भी एक बहुत बड़ी क्रांति हो सकती है। कार्यकर्ता का स्थान
दूसरी बात मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि कार्य कार्यकर्ताओं के बिना नहीं हो सकता। हालांकि कार्य-सम्पादन में दूसरी-दूसरी बातें भी आवश्यक रहती हैं, पर मैं सर्वाधिक महत्व कार्यकर्ताओं को ही देता हूं। यह महत्व ठीक उसी प्रकार का है, जिस प्रकार का अन्नोत्पादन में बीजों का है। यद्यपि अन्न-उत्पादन में हवा, पानी, धूप, मिट्टी, किसान आदि सभी तत्वों की अपेक्षा होती है। वैसे विज्ञान ने आज इतनी तरक्की की है कि उसर भूमि को भी खाद के द्वारा उपजाऊ बनाया जा सकता है। अन्य कृत्रिम साधनों से भी काम चलाया जा सकता है, पर बीज के बिना काम नहीं चल सकता । तात्पर्य यह है कि खेती में सबसे महत्वपूर्ण बीज है । यही बात' कार्यसंसिद्धि में है। कार्यकर्ताओं के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है । यदि कार्यकर्ता पूरे तन-मन से जुड़ जाते हैं तो सफलता असंदिग्ध है, सुनिश्चित है। अत: मैं आप लोगों से भी कहना चाहूंगा कि कुछ कार्यकर्ता
मानवता मुसकाए
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