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अणुव्रत आन्दोलन का अभिप्रेत
अणुव्रत आंदोलन का लक्ष्य है - मानव के आध्यात्मिक पक्ष को सबल बनाना । उसके आत्मगुणों को विकसित करना, संयम की चेतना जगाना | हम देख रहे हैं कि आज सभी क्षेत्रों में विकार घुस आए हैं । वैयक्तिक, सामाजिक, राजनैतिक कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा है । अणुव्रत आन्दोलन किसी क्षेत्र या पक्ष को मिटाना नहीं चाहता । उसका तो अभिप्रेत यह है कि प्रत्येक क्षेत्र विशुद्ध बने, प्रत्येक पक्ष बुराइयों से मुक्त बने । कभी लोग साधु-संतों के पास आने में संकोच किया करते थे । क्यों ? उनके मन में यह आशंका रहती थी कि वहां जाएंगे तो वे साधु बनने को कहेंगे। हालांकि साधु बनना, संयम की साधना करना व्यक्ति के परम सौभाग्य का सूचक है, पर मैं इस वास्तविकता से अपरिचित नहीं हूं कि साधु कोई-कोई व्यक्ति ही बन सकता है। अधिकांश आदमी नहीं बन सकते । ऐसी स्थिति में सबके साधु बनने की बात अव्यवहार्य है । मैं ऐसी अव्यावहारिक बात नहीं करना चाहता । पर इतना अवश्य कहना चाहता हूं कि आप जहां है, जिस क्षेत्र में हैं, वहां रहते हुए भी मानवीय गुणों का विकास करें, जीवन को संयम और व्रत से अधिकाधिक भावित करें । यही अणुव्रत आन्दोलन का आपको संदेश है ।
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मानवत मुसकाए
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