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आया । आपने यह उपाय क्या सुझाया है, इस बहाने मेरे अन्तर् में एक सिपाही तैनात कर दिया है। वह प्रतिपल मेरी रक्षा करता है। अब आशान्वित हूं कि भविष्य में क्रोध मेरे पास नहीं आएगा।'
बंधुओ! आप भी इस उपाय को काम में लेकर अपने अन्तर् में एक सुरक्षा-प्रहरी खड़ा कर सकते हैं, जो कि क्रोध को अंदर प्रवेश करने से रोकता रहेगा। इससे प्रतिकल-से-प्रतिकूल परिस्थिति में भी आपकी शान्ति अप्रभावित रहेगी, खण्डित नहीं होगी। आप अपने जीवन में अनिर्वचनीय समाधि का अनुभव करेंगे । समाधिमय जीवन जीने से बढ़कर और क्या उपलब्धि हो सकती है। क्या आप इस उपलब्धि से सम्पन्न होना नहीं चाहेंगे ? मैं सोचता हूं, अवश्य चाहेंगे । चाहेंगे तो मार्ग बहुत स्पष्ट है। अब चलना आपको है।
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मानवता मुसकाए
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