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________________ ६७. कार्य हो महत्त्वपूर्ण है हमें कार्य करना है अणवत आंदोलन का कार्य कई वर्षों से चल रहा है। मैं अनुभव कर रहा हूं कि यह एक ऐसा कार्य है, जिसे जितना किया जाए, उतना ही बढता जाएगा। कार्यकर्ताओं की कमी हो सकती है, पर कार्य की नहीं। अणुव्रत आन्दोलन का कार्य मानव-निर्माण का है। इस दृष्टि से पूरा मानवसमाज, सारा संसार उसका कार्यक्षेत्र है। और संसार में करोड़ों ही नहीं, अरबों मनुष्य हैं। तब भला काम की कहां कमी। अतः हम सबको सतत कार्य करना है और निश्चित रूप से कार्य करना है। हजार कार्यकर्ता भी कम हैं मानव-निर्माण की बात मैंने कही। मानव-निर्माण का तात्पर्य आप समझते ही होंगे-जीवन का परिष्कार । संसार का एक-एक व्यक्ति अनेक बुराइयों से घिरा मिल सकता है। मैं एक बार दूसरे वर्गों की बात दो क्षण के लिए छोड़ता हूं, एक विद्यार्थी-वर्ग को ही लेता हूं। आज इस वर्ग में कितनी-कितनी बुराइयां घर कर गई हैं, अनास्था, उच्छृखलता और अनुशासनहीनता से विद्यार्थियों का जीवन कितना अस्त-व्यस्त हो रहा है, यह आपसे छुपा नहीं है। आप जानते हैं कि आज के विद्यार्थी ही चल समाज और राष्ट्र के कर्णधार होगे। इसलिए उन्हें जीवन की सही दिशा पकड़ाना नितान्त आवश्यक है। इस एक वर्ग में ही कार्य की इतनी संभावनाएं हैं कि दो-चार क्या हजार कार्यकर्ता भी काम करें तो कार्य की कोई कमी होने वाली नहीं है। बहुत-सारे कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि हमारी सभाओं में उपस्थिति संतोषप्रद नहीं होती। अभी-अभी मुझे बताया गया कि आजकल विद्यालयों में भर्ती (Admission) हो रही है। अतः सामूहिक रूप में विद्यालयों में काम नहीं चल पाता। पर मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आप भीड़ को क्यों देखते हैं। कार्य की तरफ ध्यान क्यों नहीं देते। मैं आपसे कहना चाहूंगा कि आप एक-एक छात्र को ढूंढें । ढूंढने से निश्चय ही बहुत बड़ी संख्या में छात्र मिल जाएंगे। स्कूलों में एडमीशन का काम चलता है, कार्य ही महत्त्वपूर्ण है १७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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