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'मत्री-दिवस' मनाने का उददेश्य
आणविक अस्त्रों के परीक्षण चल रहे हैं । शत्रु-वृत्ति में उनके प्रयोग पर भी स्यात् नियंत्रण नहीं रह सकता। यह वर्तमान की स्पर्धा, शास्त्रास्त्रों की होड़ शान्ति के लिये वहुत बड़ा खतरा है। इसे मैत्री के बिना किसी भी प्रकार नहीं टाला जा सकता। शत्रु-भाव में संदेह होता है और यह कृत्रिम दूरी पैदा करता है।
किसी समय विरोधी पक्ष एक साथ बैठना भी नहीं चाहते थे। आज उस स्थिति में परिवर्तन आया है। विरोधी पक्ष एक साथ बैठ समस्या का समाधान ढूंढते हैं, बातचीत के द्वारा स्थिति को सुलझाना चाहते हैं । यह बहुत शुभ है। इस कदम ने बहुत बार होते-होते संघर्ष से विश्व को बचाया है। इस आंशिक सफलता की ओर आगे बढना चाहिये । यही उद्देश्य है-'मैत्री-दिवस' मनाने का।
'मैत्री-दिवस' मनाते समय प्रतिवर्ष तीन बातें अवश्यमेव करणीय
१. प्रत्येक व्यक्ति और राष्ट्र दूसरे व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिये अभय की घोषणा करे।
२. दूसरे व्यक्तियों और राष्ट्रों द्वारा अपने या अपने राष्ट्र के लिये कोई भयकारक उपक्रम हुआ हो तो उसके लिये उन्हें क्षमा दे।
३. अपने या अपने राष्ट्र के द्वारा दूसरे व्यक्तियों या राष्ट्रों के लिये कोई भयकारक उपक्रम हुआ हो तो उसके लिये उनसे क्षमा ले ।
__मैं मानता हूं, इस क्रम से 'मैत्री-दिवस' मनाने का क्रम बराबर चलता रहे तो विश्व-शांति का एक सुदृढ आधार बन सकेगा। संसार का छोटाबड़ा प्रत्येक प्राणी, समाज और राष्ट्र अभय और सुख की सांस ले सकेगा।
मानवता मुसकाए
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