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उद्दण्ता का कारण
विदेशों में जहां विद्यार्थी परीक्षा-काल में किसी निरीक्षक का नियुक्त होना अपना अपमान मानते हैं, वहां भारतीय विद्यार्थियों के लिए परीक्षास्थलों पर पुलिस तैनात रहने लगी है। सारांश यह है कि आज का विद्यार्थीवर्ग एक ज्वलंत समस्या बन गया है। इस संक्रामक समस्या का समाधान पा लेना अत्यन्त अपेक्षित हो गया है । लाखों-लाखों विद्यार्थियों के संपर्क में आने व अणुव्रत-आन्दोलन के माध्यम से उनमें वर्षों तक कार्य कर लेने के पश्चात् मैं तो सहज ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि विद्यार्थियों की उद्दण्डता का एक प्रमुख कारण आज की संयम-शून्य विद्या-प्रणाली है। उस शिक्षाप्रणाली से प्रत्यक्ष ही असंयम व उत्तेजना बढती है, संयम घटता है । सामान्यत: विद्यार्थी यह जान ही नहीं पाते कि संयम किस वस्तु का नाम है। मानसिक, वाचिक व कायिक संयम का जीवन पर क्या सुप्रभाव पड़ता है। 'संघर्ष ही जीवन है' इसके बदले यदि 'संयम ही जीवन है' यह सिखलाया जाता तो सम्भवतः उनका जीवन आज की तरह अस्त-व्यस्त नहीं होता।
समाधान को दिशा
वर्तमान स्थिति में उक्त समस्या के दो ही समाधान दृष्टिगोचर हो रहे हैं । प्रथम समाधान यह है कि अन्यान्य विषयों के साथ नैतिक-विज्ञान (मोरल साइन्स) भी हर एक विद्यार्थी को पढाया जाए । धार्मिक शिक्षा संयम व नैतिकता की प्रेरक बन सकती है । पर अब तक यह विषय देश में विवाद-ग्रस्त बना रहा है। इस दिशा में जो कठिनाई मानी जा रही है, वह यह है कि धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र में धार्मिक शिक्षा को व्यवहार्य रूप कैसे दिया जाए ? नाना धर्म व विश्वास देश में हैं। किसी भी धर्म-विशेष को इस दिशा में आधार मान लेने से भाषा-प्रश्न से भी जटिलतर अनेक उलझनें पैदा हो सकती हैं। पर यह प्रश्न उक्त दुविधाओं के कारण छोड़ देने जैसा भी नहीं है । ऐसी बात नहीं है कि धार्मिक शिक्षा के विषय में कोई सर्वसम्मत मार्ग निकल ही नहीं सकता। किन्तु जब तक वह विचार के धरातल पर है, तब तक नैतिक-विज्ञान का प्रशिक्षण ही एक राजमार्ग रह सकता है। उस नैतिक प्रशिक्षण के अध्ययनात्मक व प्रयोगात्मक नाना रूप हो सकते हैं। संक्षेप में नैतिक-विज्ञान के प्रशिक्षण का हार्द होगा विद्यार्थियों में नैतिक व सात्विक संस्कारों का आविर्भाव करना । संस्कारों का जीवन पर असाधारण प्रभाव रहता ही है। प्राचीन काल में एक ही गुरु बहुत-सारे विद्यार्थियों को संभाल लेता था। ऐसे उदाहरण स्यात् खोजे भी न मिलें कि विद्यार्थियों ने कभी गुरु पर हमला बोला हो।
विद्यार्थी : चारित्रिक क्रांति का अग्रदूत
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