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ही बना पाया हूं। इसकी जोड़ी नहीं बना पाया। जब तक जोड़ी नहीं बनेगी, मुझे चैन नहीं पड़ेगा । इसीलिए मैं रात-दिन श्रम करता हूं ।' राजा ने मन-ही-मन कहा - आकाश को बाहों में भरा जा सके तो इसकी इच्छा पूरी हो । और वह जीवन का एक नया अनुभव प्राप्त कर अपने महलों की ओर प्रस्थित हो गया ।
बन्धुओ ! अब आप सोचें, गरीब कौन है ? परिग्रही या अपरिग्रही ? ज्ञानी पुरुष तो यही कहते हैं कि गरीब वह नहीं, जिसे भरपेट रोटी न मिले, बल्कि सही अर्थ में गरीब तो वह है, जिसे करोड़ों की पूंजी होने के उपरांत भी सुख से रोटी खाने की फुरसत नहीं है ।
आंखों देखी बात भी बताऊं । करोड़पति सेठ थे । आधुनिक सुखसुविधाओं के सभी साधनों से सम्पन्न थे । पर इसके उपरांत भी उन्हें रात को सुख से नींद नहीं, दिन में सुख से खाना नहीं, एक मिनट चैन नहीं । एक दिन क्या देखता हूं - वे भोजन कर रहे हैं । तभी टेलीफोन की घंटी बजती है । बस, उनके मुंह का कवल मुंह में और हाथ का हाथ में । खाना छोड़कर उनको टेलीफोन सुनने के लिए जाना पड़ता है। यह दृश्य देखकर मेरे मन में विचार आया - हाय ! यह क्या जीवन है । बन्धुओ ! ऐसी दयनीय जिन्दगी जीने वालों के प्रति मन में करुणा आती है । बेचारे सुख से खा-पी नहीं सकते । आराम तो उनकी नसीब में है ही कहां । सोते हैं तो फोन उनके कान के पास ही रहता है । मानो कोई सन्तरी लगा हो। न जाने रात में कितनी बार उन्हें उठना पड़ता है |
रात को जब वे अपराधी के पीछे चौंक- चौंक कर
इस परिप्रेक्ष्य में गरीब और अमीर की परिभाषा को बहुत अच्छी तरह से समझा जा सकता है। अगर पैसा पास न होना ही गरीबी है तो क्या सबसे बड़े गरीब हम नहीं होंगे । भले आप सब लखपति - करोड़पति नहीं हैं, फिर भी आपके पास कुछ-न-कुछ तो है ही । पर हमारे पास तो कुछ भी नहीं है । बिलकुल कुछ नहीं । चार अंगुल जमीन नहीं, चार पैसे की पूंजी तक नहीं । और तो क्या, आज खाया है, पर कल मिलेगा या नहीं, इसकी भी कोई निश्चितता नहीं । और मिलेगा तो क्या मिलेगा, कहां मिलेगा, कब मिलेगा, इसका कोई पता नहीं । इस स्थिति के उपरांत भी कल के लिए कोई संग्रह नहीं । मिलेगा तो ठीक, अन्यथा सहज इस आकिंचन्य के वावजूद भी हम गरीब नहीं हैं, अपितु संपन्न हैं । आप पूछेंगे, आपके पास फिर कौन-सा धन है ? हमारे पास धन है अपरिग्रह का, संतोष का। और इस संपन्नता के समक्ष संसार का बड़े से बड़ा पूंजीपति अपने को बौना पाता है । इसलिए मैंने कहा, अकिंचन होने के उपरांत भी हम गरीब नहीं हैं ।
तपस्या हो जाएगी । पर बिलकुल गरीब नहीं हैं,
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मानवता मुसकाए
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