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________________ ५२. तवेसु वा उत्तम बंभचेरम् भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गणधर गौतम ने जिज्ञासा की-- 'तवेसु किं उत्तमम् ?'---तपस्या में उत्तम क्या है ? समाधान का आलोक बिखेरते हुए भगवान ने कहा-'तवेसु वा उत्तम बंभचेरम् ।' ..--तपस्या में ब्रह्मचर्य उत्तम है। हमारे यहां अनशन, ऊनोदरी, भिक्षाचरी, रस-परित्याग, कायक्लेश, प्रतिसंलीनता, प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग के रूप में तप के बारह प्रकार बताए गए हैं। स्पष्ट है, इनमें ब्रह्मचर्य का नाम नहीं है । भगवान कह रहे हैं कि ब्रह्मचर्य इन बारह प्रकार के तपों से भी उत्तम तप है। हालांकि ब्रह्मचर्य में सर्दी-गर्मी नहीं सहनी पड़ती, खानापीना नहीं छोड़ना पड़ता, तथापि यह सर्वोत्तम तप माना गया है। वस्तुतः यह अन्तर् की तपस्या है। इसमें अन्तरात्मा को तपाना पड़ता है। ___ अब्रह्मचर्य या कामवासना व्यक्ति को अन्दर-ही-अन्दर दुःख देती है । वह ऊपर से दिखाई नहीं देती, पर उसकी नींव गहरी होती है । कामना एक ज्वाला है। उससे मनुष्य झुलसता रहता है । विलासी मनुष्य के नाना रोग हो जाते हैं । अब्रह्मचर्य अधर्म का मूल है। महादोषों का स्रोत है। ___ मनुष्य की असीम कामवासना को ससीम करने के उद्देश्य से विवाह की परम्परा चली। पर बहुत सारे लोग विवाह को संकीर्णता मानते हैं। वे अपने भोग पर किसी प्रकार की सीमा नहीं चाहते। उसे सर्वथा मुक्त रखना चाहते हैं। मैं मानता हूं, इन दोनों में अब्रह्मचर्य का तारतम्य हो सकता है, परन्तु ब्रह्मचर्य दोनों ही नहीं हैं। ब्रह्मचर्य की परिभाषा ब्रह्मचर्य का अर्थ है--मिथुनविरति । 'मिथुनविरति ब्रह्मचर्यम् ।' मिथुन नाम दो का है। यह सांकेतिक शब्द है। कामवासना की पूर्ति को मिथुन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में संभोग की विरति का नाम ब्रह्मचर्य है। 'संभोगविरति ब्रह्मचर्यम् ।' ब्रह्मचर्य की साधना इन्द्रिय और मन पर नियंत्रण करने की साधना है । यह साधना महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से करणीय है। पर यह एक तथ्य है कि इस साधना में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक सफल हुई हैं। ११८ - मानवता मुसकाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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