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द्वारा समाज-निर्माण और राष्ट्र निर्माण का कार्य सुगम हो सकता है।
___ व्यक्तियों के चयन में मनोवैज्ञानिक दृष्टि अपेक्षित है। जिन व्यक्तियों का चुनाव हो, उनके मन में निर्मित होने की ललक होनी चाहिए । अध्यात्म के प्रति आंतरिक रुचि और निष्ठा का होना उनकी दूसरी अर्हता है । इसके साथ ही यह भी नितांत अपेक्षित है कि वे यशलोलुपता और सत्ता-आकर्षण से दूर हों। इस आधार पर चुने गए व्यक्तियों को आचार का व्यवस्थित प्रशिक्षण मिलना चाहिए। मैं मानता हूं, इस क्रम से जो कार्यकर्ता तैयार होंगे, वे समाज-कल्याण और राष्ट्र-निर्माण में अपनी निर्णायक भूमिका निभा सकेंगे ।
समाज-कल्याण और राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं का कार्य ही उनकी साधना होनी चाहिए। वे इस भाषा में कभी न सोचें कि वे समाज पर अहसान कर रहे हैं। चिंतन यही रहे कि वे मात्र अपना कर्तव्यपालन कर रहे हैं । इस प्रकार की कार्यशैली एवं सोच वाले कार्यकर्ता ही समाज-कल्याण और राष्ट्र-निर्माण के अपने उद्देश्य में सफल हो सकते हैं। संयम की प्रतिष्ठा हो
समाज-कल्याण और राष्ट्र-निर्माण के लिए संयम को सर्वोच्च प्रतिष्ठा देनी होगी । बड़ा वही है, जो संयमी है । जो जितना बड़ा त्यागी है, वह उतना ही बड़ा है । यदि यह मूल्य स्थापित होगा तो समाज और राष्ट्र में सहज रूप से संयम के प्रति आकर्षण का भाव बढेगा । पर दुर्भाग्य से आज संयम का स्थान अर्थ ने ले लिया है । जो अर्थ साधन है, वह आज साध्य बन गया है। जो अर्थ चिकित्सा मात्र है, आज वह सब कुछ बन गया है। यही कारण है कि लोग अर्थपति को बड़ा मानते हैं और स्वयं भी अर्थपति बनने का प्रयत्न करते हैं। अर्थ के इस अवांछित प्रभाव एवं मूल्य ने समाज में अनेकानेक विकृतियों को जन्म दिया है । अर्थ के इस प्रभाव एवं मूल्य को हर स्थिति में कम करने की अपेक्षा है । उसके स्थान पर संयम का महत्त्व बढ़ना आवश्यक है। पर यह तभी संभव है, जब समाज-सेवकों एवं कार्यकर्ताओं का जीवन संयम से अनुप्राणित हो ।
समाज-कल्याण के उद्देश्य से कार्य करने वाले लोगों के लिए यह नितांत अपेक्षित है कि उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरक हो। यों चुनाव के समय प्रत्याशी बनने वाले सभी लोग समाज-सेवक बन जाते हैं। समाजकल्याण और राष्ट्र-निर्माण की बड़ी-बड़ी प्रतिज्ञाएं करते हैं । पर उनमें से कितने व्यक्तियों के मन में समाज-कल्याण और राष्ट्र-निर्माण की भावना
और क्षमता होती है, यह आप से छुपा नहीं है । प्रतिपक्षी उम्मीदवार को जीतते देख वे कैसे-कैसे गलत हथकंडे अपनाते हैं, यह मुझे बताने की जरूरत
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मानवता मुसकाए
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