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भी। भोग की भी तो यही बात है। उसे भोगने वाला उसके कट परिणाम का अनुभव करके दुःखी बनता है और उससे वंचित रहनेवाला उसकी लालसा से दुःख पाता है। सुखी वह होता है, जो भोग से बचे, उसका परित्याग करे।
संकल्प की अचिन्त्य/अद्भुत शक्ति का यह सुन्दर उदाहरण है। इस उदाहरण से प्रेरणा लेते हुए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संकल्प-चेतना को जगाकर ब्रह्मचर्य की साधना में गतिशील होना चाहिए।
संकल्प का चमत्कार
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