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अलबत्ता इस सन्दर्भ में एक बात ध्यान देने की है । बाढ आने पर सबसे पहले उसे नियंत्रित करने का प्रयास और उपाय किया जाता है । अन्यान्य बातों पर बाद में चिंतन होता है । आज देश में अनैतिकता, भ्रष्टाचार और हिंसा का जो प्रवाह है, उसका रूप बाढ का सा ही है । इस स्थिति में उस प्रवाह को रोकने का प्रयास और उपाय करना हमारी प्राथमिक अपेक्षा है । अणुव्रत आंदोलन, जिसकी प्रासंगिक चर्चा मैंने पूर्व में की, इस दिशा में एक सशक्त अभियान है । यह जन-जन की संयम एवं नैतिक चेतना को जगाकर अनैतिकता, भ्रष्टाचार एवं हिंसा की बाढ़ को नियंत्रित करना चाहता है । मेरा विश्वास है, यदि जन सहयोग प्राप्त हुआ तो इसके बहुत ही अनुकूल परिणाम आएंगे |
अनवरत चलनेवाली प्रक्रिया
बहुत सारे लोग मुझसे कहते हैं, इस देश में भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध आए। इस युग में महात्मा गांधी का सान्निध्य मिला । और भी अनेक महापुरुषों ने समय-समय पर इस देश में जन्म लिया । वे जब इस देश को बुराइयों से सर्वथा मुक्त नहीं कर सके, इसे स्वर्ग नहीं बना सके, तब क्या आप ऐसा करने में सफल होंगे ? इस सन्दर्भ में मैं इस भाषा में सोचता हूं कि किसी भी महापुरुष ने पूरे देश को सुधारने अथवा स्वर्ग बना देने का कोई दावा नहीं किया था । दावा फिर भी आगे की बात है, ऐसी कल्पना भी शायद नहीं की होगी । तब भला मैं कैसे कर सकता हूं। हां, सबने अपने-अपने समय में अपनी-अपनी शक्ति और पुरुषार्थ का उपयोग देश को सुधारने, उसे बुराइयों से मुक्त करने में किया । मैं भी अपने समय में अपनी शक्ति इस कार्य में लगा रहा हूं । पर इस प्रयत्न से देश बुराइयों से सर्वथा मुक्त होकर स्वर्ग बन जाएगा, ऐसी घोषणा मैं नहीं करता । फिर भी निराश होने की कोई बात नहीं है । मैं मानता हूं, बुराइयो से संघर्ष करना किसी युगविशेष की अपेक्षा नहीं, अपितु यह एक अनवरत चलनेवाली प्रक्रिया है । मुझे प्रसन्नता है कि मैंने इस कार्य में अपनी शक्ति का सदुपयोग किया है ।
सुख और शांति का आधार
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