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के एक कारखाने में चले गए थे। वहां हमने देखा, हीरे घसने के औजारों पर हीरों का ही चूर्ण लगाया जा रहा है। ऐसा किए जाने का कारण पूछे जाने पर हमें बताया गया कि हीरे की घसाई हीरे से ही की जा सकती है। इसी प्रकार कहा गया है---"विषस्य विषमौषधम्'--विष की औषध विष है। यही बात साधना के संदर्भ में है। ज्ञान, दर्शन और चारित्र की आराधना भी तदनुरूप यानी ज्ञान, दर्शन और चारित्र से ही होगी।
साधना-पथ
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