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'मैत्री दिवस' मनाने का उद्देश्य
मैं मानता हूं कि कोई भी देश अपने हित को छोड़ दे, यह सम्भव नहीं है । पर व्यक्तिगत रूप से किसी दूसरे देश के प्रति विरोध हो, इसकी क्या आवश्यकता है। एक देश का निवासी दूसरे देश के निवासी का व्यक्तिगत विरोध करे, यह आवश्यक नहीं है । 'मैत्री दिवस' इसी भावना का प्रतीक है। प्रत्येक व्यक्ति किसी भी दूसरे व्यक्ति के प्रति विरोध नहीं रखेगा तो अपने-आप मैत्री की भावना को बल मिलेगा। उसका पहला कदम होगाव्यक्ति स्वयं दूसरों से अपनी त्रुटियों के लिए क्षमा-याचना करे । भला ऐसा कौन व्यक्ति होगा, जो क्षमा मांगने पर क्षमा नहीं देगा। यद्यपि आने को तो आज भी एक देश का प्रधानमंत्री दूसरे देश में सद्भावना-प्रसार के रूप में आता है। पर यह उपक्रम प्रायः औपचारिक ही रह जाता है। इतनी-इतनी सद्भावना यात्राएं हो जाने के बाद भी तनाव कम हुआ है- ऐसा नहीं कहा जा सकता । संयुक्तराष्ट्रसंघ में अनेक देशों के प्रतिनिधि इसी उद्देश्य से आते हैं । पर ऐसा लगता है, जैसे मौलिक बात को भुला दिया जाता है । इसीलिए यह आवश्यक है कि विश्वभर में एक दिन ऐसा मनाया जाए, जिसके माध्यम से कि संसार के सभी लोग मैत्री के महत्व को समझ सकें।
___ यद्यपि इसका हम कोई एक दिन निश्चित नहीं कर पाये हैं । इसमें कुछ कठिनाइयां भी हैं । इसलिए कि मैत्री-दिवस किसी एक समाज या एक देश के लिए नहीं है । हम इसे अखिल विश्व के स्तर पर लाना चाहते हैं। अतः कोई एक दिन सब लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर ही सोचा जा सकता है।
मैत्री : विश्व-शांति का आधार
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