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अध्यात्म और विज्ञान
संयम हम विज्ञान के संदर्भ में तथा नृवंश विद्या (anthropology) की दृष्टि से संयम पर विचार करें-प्रश्न होगा कि मनुष्य जाति का विकास कैसे हुआ? इसके उत्तर में अनेक उत्तर दिए जा सकते हैं। किन्तु नृवंश विद्या के आधार पर इसका जो उत्तर दिया गया, वह बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसमें कहा गया है कि मनुष्य जाति के विकास का मूल आधार है-वाणी। पशु पक्षियों का विकास नहीं हुआ। गाय, भैंस और घोडा-ये हजारों वर्षों से समानरूप से रह रहे हैं। इनमे कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। गधे, घोड़े, खच्चर कभी हड़ताल नहीं करते। वे सदा ही भार ढो रहे हैं और ढोते रहेंगे। क्यों? इसलिए कि उनका विकास नहीं हुआ। उनमें भाषा नहीं है। बन्दर ने कभी घर नहीं बनाया। आज भी वह वृक्षवासी है। मनुष्य ने घर बनाया। घर बनाने में उसने बहुत विकास किया। इसका कारण बताया गया है कि मनुष्य अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखता है। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के कारण ही मनुष्य के विकास का प्रथम चरण प्रारम्भ हुआ। विकास का दूसरा मुख्य तत्त्व है कि मनुष्य की अंगुलियां और अंगूठा विपरीत दिशा में हैं। अंगुलियों की सीध में यदि अगूंठा होता तो आदमी न लिख पाता और न अन्य काम ही कर पाता। मनुष्य पशु जैसा ही होता। पशुओं के अंगुलियां और अंगूठा विपरीत दिशा में नहीं होते । यह बहुत बड़ा अंतर है। इसी अंतर के कारण आदमी प्रगति कर रहा है, विकास कर रहा है।
दूसरी दृष्टि-योग की दृष्टि से देखें तो मुद्रा के आधार पर विश्लेषण करना होगा। योग ने मुद्रा की दृष्टि से बहत विकास किया है। दो अंगलियों को मिलाने से एक प्रकार की मुद्रा बन जाती है। तीन अंगुलियों को मिलाने से दूसरी मुद्रा बन जाती है। अनामिका और अंगूठे को मिलाने से अन्य मुद्रा बन जाती है। इस प्रकार सैकड़ों-सैकड़ों मुद्राएं हैं। इन मुद्राओं के परिणाम भी भिन्न-भिन्न होते हैं। मंत्रशास्त्र में मुद्राओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। देवता का आह्वान करना हो तो कौन-सी मुद्रा होनी चाहिए। हठयोग में मुद्राओं का काफी विवेचन है। प्राणायाम करना है, दीर्घश्वास की क्रिया करनी है तो अमुक मुद्रा में करने से फेफड़ों में पूरा प्राण वायु पहुंचेगा, अन्यत्र नहीं। मुद्राओं के आधार पर परिणाम में अन्तर आ जाता
‘एक्यूप्रेशर' और 'एक्यूपंक्चर'-ये दो प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां हैं। शरीर के अमुक भाग को दबाने से या शरीर के अमुक केन्द्र पर सुई चुभाने से अमुक बीमारी शांत हो जाती है। श्वास की बीमारी है या हार्ट की बीमारी है तो अमूक पॉइन्ट को दबाने या उस पर सुई चुभाने से वह बीमारी शांत हो जाती है। आज भी यह पद्धति चीन और जापान में चलती है।
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