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अध्यात्म और विज्ञान है, ऊर्जा है, प्राणशक्ति है, वह खर्च होती है। कायोत्सर्ग करने का अर्थ होता है कि बिजली खर्च नहीं होती, मन की शक्ति खर्च नहीं होती, शरीर की शक्ति एवं मस्तिष्क की शक्ति खर्च नहीं होती सब भंडार में रिजर्व रह जाती है।
बहुत बार ऐसा होता है कि बल्ब लगे रहते हैं किन्तु प्रकाश गायब हो जाता है। हम शरीर को देखते हैं, शरीर की भी यही हालत है। शरीर पड़ा है, आखें, कान नाक पूरे के पूरे अवयव हैं, किन्तु बिजली गायब हो गई।
पढ़ा होगा आपने, कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं कि चित्ता में जलाने के लिए शव को लिटा दिया, वह बीच में ही खड़ा हो गया। पोस्टमार्टम के लिए रोगी को सुलाया गया और डॉक्टर पोस्टमार्टम करने बैठा। अस्त्र लगा, वह खड़ा हो गया। आपको आश्चर्य होगा कि यह कैसे हो सकता है? बिलली गायब हो गई थी, फिर कोई ऐसा बटन दबा, बिजली आ गई और वह जी गया। लोगों ने समझ लिया कि यह तो भूत हो गया। यह बहुत बड़ा चमत्कार है हमारे प्राण शक्ति का। आंख में देखने की ताकत नहीं, कान में सुनने की शक्ति नहीं, जीभ में रसास्वाद की अनुभूति नहीं यह सब जो करता है, भरता है शक्ति को, वह है प्राण । एक प्राण का प्रकाश आता है, सब अपना-अपना काम करने लग जाते हैं।
मूल प्रश्न है प्राण का। प्राण सबसे बड़ा चमत्कार है। दुनिया में जितने चमत्कार होते हैं वे सब प्राण के द्वारा होते हैं। यदि प्राण की शक्ति न हो तो दुनिया में कोई चमत्कार नहीं। आज विद्युत् का युग है, वैज्ञानिक युग है। कहना चाहिए विद्युत् है इसलिए विज्ञान है। सब कुछ चल रहा है बिजली के आधार पर । वास्तव में विद्युत् का युग है। इतने बड़े चमत्कार आज की दुनिया में चलते हैं कि कमरा बन्द है, आदमी आया। जैसी ही कमरे में पैर रखा, दरवाजा अपने आप खुल जाता है। जैसे ही भीतर गया, कुर्सी पर बैठा, पंखा अपने आप चलने लग गया। कोई बटन दबाने की जरूरत नहीं। बल्ब जल उठा। यह तो आज की बात है। ईसवी सन् २००० के बाद ऐसा होगा कि आदमी भोजन की टेबल पर जाकर बैठेगा, अपने आप भोजन आ जाएगा। खा लिया, हाथ अपने आप धुल जाएंगे, रूमाल आ जाएगा, कुछ भी करने की जरूरत नहीं। बस पचाना पड़ेगा। बाकी सारा होगा बिजली के द्वारा।
हम इतने निकट हैं और हमारी प्राणशक्ति, प्राण-विद्युत इतनी निकट है कि हम सही मूल्यांकन नहीं कर पाते। एक अवयव में से बिजली चली जाए, प्राण सिकुड़ जाए, तब पता चलता है कि क्या होता है? यह लकवा क्या है? प्राण शक्ति सिकड़ गई, प्राणशक्ति चली गई तो लकवा हो गया। बिजली चली गई, बस! लकवा जब पूरे शरीर पर हो जाता है, व्यक्ति सारा नियंत्रण खो बैठता है। व्यक्ति बिना मतलब रो देता है, बिना मतलब हंसता है, शरीर काम नहीं करता। एक प्रकार से मृत के भांति
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