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अध्यात्म और विज्ञान हो सकते हैं। केवल दृष्टिकोण का अन्तर होता है। एक शरीरशास्त्री और मानव शास्त्री परिवर्तन की बात भौतिक सीमा के अन्तर्गत सोचता है और एक अध्यात्मशास्त्री उसे भाव-तरंगों की सीमा में ले जाता है।
यह शरीर कुछेक रसायनों से निष्पन्न पिंड है। प्राचीन भाषा में इसे सप्तधातुमय माना जाता है। आज यह मान्यता बदल चुकी है। आज का शरीरशास्त्री शरीर के धातु, लवण, क्षार, और रसायनों से बना हुआ मानता है। इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है, गहरी है। इस शरीर में एन्जाइम्स, रसायन, हारमोन्स काम करते हैं, इनकी सक्रियता से आदमी के व्यक्तित्व का, भाव का और विचार का निर्माण होता है। इस परी प्रक्रिया समझन लेने के बाद साधना की बात ठीक समझ में आ जाती है। कहना यह चाहिए कि जिस व्यक्ति ने शरीर को समझने का प्रयत्न नहीं किया, वह न आत्मा को समझ सकता है और न परमात्मा को समझ सकता है। वह मनुष्य और प्राणी-जगत् के सम्बन्ध को भी नहीं समझ सकता। शरीर की शक्तियों का दोहन
हम शरीर की शक्ति को दोहना नहीं जानते। हमारे शरीर के भीतर कितनी बड़ी शक्तियां हैं! एक आदमी को कहा जाए तुम एक आसन में तीन घंटे बैठ जाओ। अरे! कैसे बैठा जा सकता है, कभी नहीं बैठा जा सकता। शरीर के भीतर इतनी ताकत है कि तीन घंटे नही तीन महीने तक एक स्थान पर बैठा जा सकता है। हम अपनी शक्ति का उपयोग करना नहीं जानते। हमें अपनी शक्ति पर भरोसा नहीं है। हमें अपनी शक्ति का ज्ञान नहीं हैं।
मैने देखा, दो वर्ष पहले एक शिविर था। एक भाई हैदराबाद से आया। वह युवक था, पढ़ा-लिखा था। उसने कहा-मैं ध्यान तो कर सकता हूं, पर मेरी कठिनाई यह है कि आधा घंटा भी एक आसन में नहीं बैठ सकता। मैंने कहा-चिंता मत करो। पांच-चार दिन बीते। शिविर का छठा दिन, चैतन्य केन्द्रों का ध्यान किया गया। दर्शन केन्द्र पर ध्यान टिका, गहराई आयी, आधा घंटा बीता, एक घंटा बीता, दो घंटे बीते गये, उसे पता ही नहीं कि कहां बैठा हूं, कब बैठा हूं। देशातीत, कालातीत और शरीरातीत बन गया। पता ही नहीं चला। ये दो घंटे बीत जाने के बाद एक भाई ने आकर मुझे कहा, वह तो वैसा-का-वैसा बैठा है। मैं गया और जाकर उसको संबोधित किया तब अकस्मात् जैसे वह कोई नींद से जागा हो, उठा और आकर पैर पकड़ लिए। उसने कहा-मैं तो आज इस स्थिति में चला गया कि दुनिया क्या है और मैं कौन हूं, कुछ भी भान नहीं रहा। अपूर्व स्थिति बनी। आनन्दमय, केवल आनन्दमय।
हमारी शक्ति असीम है, यदि उसका उपयोग करना जानें। हमारे शरीर
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