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________________ ४१ दर्शन और विज्ञान मैं इस बात को सिद्ध करने में सफल होती हूं कि वर्तमान भौतिक विज्ञान के सिद्धांत आदर्शवाद के किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करते तो ऐसा भी नहीं समझना चाहिए कि उन्हें (भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों को) भौतिकवाद के किसी रूप की पष्टि करने वाले सिद्ध करती हूं।'' प्रो. स्टेबिंग के आदर्शवाद-विरोधी विचारों की चर्चा हम कर चुके हैं और देख चुके हैं कि उन्होंने सफलतापूर्वक एडिंग्टन और जीन्स दार्शनिक विचारों को विज्ञान और तर्क के साथ असंगत सिद्ध किया है। उक्त उद्धरण से कहा जा सकता है कि भौतिकवाद को भी व विज्ञान-सम्मत मानने को तैयार नहीं हैं। इस उद्धरण से विज्ञान के दर्शन पर राजनीति के प्रभाव को भी देखा जा सकता है। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक दर्शन की संज्ञा न तो आदर्शवाद को दी जा सकती है और न भौतिकवाद को। तीसरा विकल्प रह जाता है-द्वैतवाद या अनेकतत्त्बाद का। हाइजनबर्ग आदि वैज्ञानिकों की मान्यता सम्भवत: विज्ञान के दर्शन को निष्पक्ष रूप से प्रतिपादित करती है। उनके अभिमत में आत्मा (चेतन) और भूत; दोनों को स्वतन्त्र मौलिक वास्तविकता के रूप में स्वीकार किया गया है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार यद्यपि इन वास्तविकताओं के तात्त्विक स्वरूप के विषय में वर्तमान विज्ञान का चिन्तन स्पष्ट नहीं हो पाया है, फिर भी इनके स्वतन्त्र अस्तित्व को तो स्वीकार कर ही लिया गया है। हाइजनबर्ग ने अपनी भौतिक विज्ञान और दर्शन नामक पुस्तक के उपसंहारात्मक अध्याय में लिखा है : “मन, आत्मा, जीवन या ईश्वर-सम्बन्धी उन्नीसवीं शताब्दी की हमारी धारणाओं से आज आधुनिक भौतिक विज्ञान के विकास के कारण इनके विषय में हमारी धारणाएं काफी भिन्न हो गई हैं। एतद् विषयक धारणाएं प्राकृतिक भाषा के साथ सम्बन्धित होने के कारण वास्तविकता को अधिक छूती हैं। यद्यपि यह सही है कि इनकी व्याख्याएं वैज्ञानिक अर्थ में इतनी सस्पष्ट नहीं हैं और सम्भवत: इनके परिणामस्वरूप अनेक असंगतियां भी उत्पन्न हो जाती हैं, फिर भी हमें वर्तमान में तो उनको वैसे ही अपनाना होगा। क्योंकि हम जानते है कि वे वास्तविकता को छूती हैं। इसके सम्बन्ध में यह स्मरण रखना होगा कि विज्ञान के अधिकतम समीचीन अंश-गणित में हमें बहुत सारी ऐसी धारणाओं को प्रयुक्त करना होता है, जो असंगतियों को जन्म देने वाली होती हैं। उदाहरणार्थ-'यह सर्व विदित है कि 'अनंत' संबंधी (गणित की) धारणा असंगतियों को उत्पन्न करती है, जिनका विश्लेषण भी किया गया है; परन्तु इस धारणा के बिना गणित १. फिलोसोफी एण्ड दी फिजिसिस्ट्स, भूमिका, पृ० १२ । २. १९ वीं शताब्दी के वैज्ञानिकों के दर्शन में प्रमुखतया भौतिकवाद को ही स्थान मिला था। ___ यांत्रिक भौतिकवाद' उन्नसवीं शताब्दी के भौतिक विज्ञान की देन है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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