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दर्शन और विज्ञान
२७ निषेध करते हैं। इस प्रकार देखा जा सकता है कि वाईल भी एडिंग्टन और जीन्स की तरह यह मानते हैं कि आधुनिक विज्ञान के प्रतिपादनों के आधार पर भौतिक पदार्थों के गुणों की ज्ञात-सापेक्षता सिद्ध हो चुकी है।
वाईल की विचारधारा के इस संक्षिप्त विवेचन से यह देखा जा सकता है कि यद्यपि वे वास्तविकतावाद का स्पष्ट रूप से निषेध नहीं करते हैं, फिर भी ज्ञाता-सापेक्षवाद का ही पक्ष ग्रहण करते हैं। उनकी दार्शनिक विचारधारा एडिंग्टन और जीन्स की तरह व्यवस्थित नहीं है। साथ-साथ यहां पर भी हमें विचारों की उलझन और अस्पष्टता दृष्टिगोचर होती है। जैन दर्शन के साथ उनके विचारों की तुलना में यह कहा जा सकता है कि जहां 'आत्मा' नामक एक चेतनशील वास्तविकता के अस्तित्व का प्रश्न है, वहां इन दोनों के दृष्टि-कोण सदृश हैं; किन्तु भौतिक पदार्थ के अस्तित्व और उसके गुणों की वस्तु-निष्ठता के विषय में वाईल का मन्तव्य निषेधात्मक है, जबकि जैन दर्शन का मन्तव्य विध्यात्मक है। वाईल की विचारधारा एडिंग्टन और जीन्स के दृष्टिकोण के साथ अधिकांश रूप में सदृश है; अत: वाईल के विचारों की विस्तृत समालोचना करना पूर्व विवेचन का केवल पिष्ट पेषण ही होगा। इस दृष्टि से इतना ही पर्याप्त मान कर हम अन्य वैज्ञानिकों के विचारों की चर्चा करेंगे।
अन्य वैज्ञानिकों में आइन्स्टीन. अन्र्ट माख. पोइनकेर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। यद्यपि आइन्स्टीन को प्रो. मार्गेनौ ने समीक्षात्मक वास्तविकतावादी कहा है, फिर भी जहां तक भौतिक पदार्थों के गुणों का संबंध है, आइंस्टीन की मान्यता ज्ञाता-सापेक्षवाद की ही प्रतीत होती है। लिंकन बारनेट ने आइंस्टीन के विचारों को उद्धृत करने हुए लिखा है-"आइंस्टीन के अनुसार रंग, रूप और आकार की धारणाएं चेतना से पृथक नहीं हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि आइन्स्टीन भी भौतिक पदार्थों को ज्ञाता-सापेक्ष वास्तविकता के रूप में मानते थे। अट माख ने भी भौतिक पदार्थों की वास्तविकता को स्वीकार नहीं किया है। भौतिक पदार्थ के विषय में उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है-“अणु इन्द्रियों के द्वारा ग्रहण नहीं किये जा सकते, अन्य सभी द्रव्यों की तरह वे भी केवल विचारगत वस्तुएं ही हैं ...........और एक प्रकार की गाणितिक अनुकृति (माडेल) है जो तथ्यों का मानसिक पुनरावर्तन करने में सहायक बनती है।''३ माख ने सन् १९१५ में भी यह कहा था कि मैं 'अणु का अस्तित्व' और ऐसे रूढ़िगत सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता। १. दी नेचर ऑफ फिजिकल रियलिटी, पृ० १२ । २. दी युनिवर्स एण्ड डॉ० आइन्सटीन, पृ० २१ । ३. साईन्स ऑफ मेकेनिक्स, पृ० ५९०। ४ वही प० २६. तथा देखें दी नेचर ऑफ मेटाफिजिक्स प०६७।
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