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जैन दर्शन और विज्ञान संक्षिप्त में यह कहा जा सकता है कि विज्ञान और दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन अत्यन्त उपयोगी हो सकता है।
(२) आधुनिक विज्ञान का दर्शन वास्तविकता का स्वरूप
सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक फेड होयल (Fred Hoyle) विश्व (Universe) की व्याख्या करते हुए लिखते हैं-'विश्व सब कुछ है; जीव और निर्जीव पदार्थ; अणु और आकाश-गंगाएं (galaxies); और यदि भौतिक पदार्थो के साथ आध्यात्मिक तत्त्वों का अस्तित्व हो तो वे भी; और यदि स्वर्ग और नरक भी हो, तो वे भी। चूंकि स्वभावत: विश्व सभी पदार्थों की सकलता है।' इस प्रकार, विश्व' शब्द का व्यापक अर्थ है उन सभी तत्त्वों का समूह, जिनका अस्तित्व हम इन्द्रिय, बुद्धि और आत्मा द्वारा जान सकते हैं। अणु से लेकर आकाश-गंगा तक के सभी छोटे-बड़े भौतिक पदार्थ तो इसमें समाहित हैं ही। किन्तु इनके अतिरिक्त आकाश (Space), काल (Time), ईथर (ether), चैतन्य (consciousness) आदि तत्त्वों का भी अनुभव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में हमें होता है। अत: ये भी विश्व के अंग है। यह जानना आवश्यक है कि वास्तविकता (reality)का क्या स्वरूप है? इस प्रश्न का समाधान वैज्ञानिकों ने किस प्रकार किया है? भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न रूप से प्रश्न का उत्तर दिया है और ये उत्तर विभिन्न दार्शनिकों के द्वारा दिये गए समाधानों से सादृश्य रखते हैं। वैज्ञानिकों के और दार्शनिकों के अभिप्रायों को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है--
१. आदर्शवाद (Idealism)-इस विचारधारा के अनुसार हमारे ज्ञान में आने वाला विश्व 'वस्तु-सापेक्ष वास्तविकता' (objective reality) न होकर केवल 'ज्ञाता-सापेक्ष वास्तविकता' (subjective reality) है। आदर्शवाद कहता
१. फन्टियर्स ऑफ एस्ट्रोनोमी, पृ० ३०४ । २. आधुनिक विज्ञान के दर्शनवेत्ता हेनी मार्गेनौ इस विषय में लिखते हैं कि यह एक माना हुआ
तथ्य है कि जहां तक शुद्ध वैज्ञानिक बातों का प्रश्न है, जगत् के वैज्ञानिक एकमत होते हैं। किन्तु 'वास्तविकता' के विषय में उनका भिन्न-भिन्न मत होना आश्चर्यजनक नहीं है।'
-दी नेचर ऑफ फिजिकल रियलिटी, पृ० १२ ३. किसी भी पदार्थ का अस्तित्व यदि ज्ञाता की अपेक्षा बिना-अपने आप में स्वतन्त्रतया होता है,
तो वह वस्तु-सापेक्ष वास्तविकता' (objective reality) है। दूसरी ओर जिस पदार्थ का अपने आप में स्वतन्त्रतया कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है, किन्तु केवल ज्ञाता के मस्तिष्क में उसका अस्तित्व होता है, तो वह ज्ञाता-सापेक्ष वास्तविकता' (subjective reality) है।
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