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जैन दर्शन और विज्ञान : सत्य की मीमांसा एकांगीवाद और मिथ्या एकांतवाद से बचने के लिए नियमवाद का सिद्धांत बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसकी घटनाओं के साथ व्याख्या करें, जीवन-संदर्भ के साथ व्याख्या करें तो नियमवाद का एक उदात्त पक्ष उजागर हो सकता है। (अ) संदर्भ : जन्म और मृत्यु का
__जीवन का पहला संदर्भ है-जन्म और मरण। मनुष्य जन्मता है और मरता है, यह एक चक्र है। यह क्यों होता है? इसका नियम क्या है? आदमी क्यों जन्म लेता है और क्यों मरता है? जन्म लेना एक नियति है, अनिवार्यता है। जब तक आत्मा कर्मबद्ध है, तब तक व्यक्ति जिएगा, मरेगा। इसका एक नियम है नियति और दूसरा नियम है काल । एक काल के बाद प्रत्येक वस्तु को बदलना होता है, उसी रूप में रह नहीं सकती। काल-मर्यादा भी इसका एक नियम है। नियामक एक ही नहीं है
___ तीसरा नियम है-कर्म । आयुष्य-कर्म के परमाणुओं को भोगना है। जितने समय तक आयुष्य-कर्म के परमाणु पूरे हुए, भोग लिए गए, मृत्यु हो जाएगी।
चौथा नियम है-स्वभाव । वह भी अपना काम करता है। द्रव्य का स्वभाव है कि वह परिवर्तित होता रहता है। द्रव्य में ध्रौव्यांश अपरिवर्तनांश है तो साथ-साथ में परिवर्तनांश भी है, अध्रौव्यांश भी है। द्रव्य में परिणमन होता है, पर्याय बदलता है। एक पर्याय (अवस्था) है जन्म और दूसरा पर्याय है मरण। यह पर्याय एक चक्र चलता है। इस प्रकार अनेक नियम मिलकर जन्म और मरण की व्यवस्था का सम्पादन कर रहे हैं। इस भाषा में भी कहा जा सकता है-अनेक नियमों के प्रयोग से जन्म और मरण की व्यवस्था संपादित हो रही है। (ब) सन्दर्भ रोग का
जीवन का दूसरा संदर्भ है-रोग। जन्म के बाद एक बड़ी स्थिति आती है रोग की। रोग क्यों होता है? अनेक लोग सोचते है-असातवेदनीय कर्म का उदय है इसलिए यह रोग हो गया, किन्तु यदि इसकी समीक्षा करें तो यह बात समीचीन नहीं ठहरती। केवल असातवेदनीय कर्म ही रोग का कारण नहीं बनता। रोग के अनेक कारण हैं और अनेक नियम हैं। एक नियम है-क्षेत्र । क्षेत्र संबंधी रोग होता है। एक व्यक्ति अमुक गांव में गया और बीमार हो गया। वहां से बाहर जाते ही वह बिना दवा के ठीक हो जाएगा। एक नियम है-काल। काल-जनित रोग पैदा होते हैं। सर्दी के मौसम में एक प्रकार के रोग पैदा होते हैं और गर्मी के मौसम में दूसरी प्रकार के रोग पैदा होते हैं। लू का प्रकोप गर्मी के मौसम में होगा, सर्दी के मौसम में नहीं होगा। शीतजनित बीमारियां सर्दी में होंगी, गर्मी में नहीं होगी। प्रात:काल एक रोग उपशांत
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