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विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमा समाप्त हो जाती है। शराब पीना एक व्यक्तिगत मामला भले ही हो, आज यह एक सामाजिक रूप ले चुका है । थोड़ी-सी पी गयी शराब भी औद्योगिक उत्पादन की गति शिथिल कर देती है । मादकता लाने वाली शराब तो किसी भी आधुनिक फैक्टरी या कारखाने को नष्ट-भ्रष्ट कर सकती है । इसीलिए जेफरसन काउन्टी अलवाया के शेरिफ होस्ट मेकडोबेल का कहना है- मेरा सदैव विश्वास रहा कि यदि कोई व्यक्ति कहता है कि शराब पीना उसका अधिकार है तथा उसमें बाधा डालने का किसी को अधिकार नहीं है तो एक शेरिफ के तौर पर मैं कह सकता हूं कि इस मामले में दखल देना एक नागरिक का परमपावन कर्तव्य हैं ।
आज तो नशे की दृष्टि से शराब एक अकेली चीज नहीं रह गयी है अपितु भारत सरकार द्वारा स्थापित विशेषज्ञों की एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 'ड्रग एब्यूज इन इंडिया' में नशीली चीजों के नाम इस प्रकार गिनाये हैं- भांग, गांजा, चरस, पेथेडीन, मारफीन, हीरोइन, कोकीन तथा शराब आदि । जो लोग इनके अधीन हो जाते हैं; वे बीमार हो जाते हैं ।
सारी दुनिया में आज नशे की ये चीजें द्रुतगति से फैल रही हैं। थाइलैंड में ५ लाख से अधिक व्यक्ति नशीली दवाइयों के आदी हैं; जबकि मलेशिया में उनकी संख्या सवा लाख है। उनमें से ७५ प्रतिशत व्यक्ति तो हीरोइन का इस्तेमाल करते हैं । सिंगापुर तथा हांगकांग में तो उनकी संख्या ८० प्रतिशत हो जाती है ।
इसीलिए भगवान् बुद्ध ने कहा था- ' - "मनुष्यों, तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत न होना क्योंकि वह पराक्रम की परीक्षा है । तुम तलवार के नीचे सिर झुकाने से भयभीत मत होना क्योंकि वह बलिदान की कसौटी है । तुम पर्वत-शिखर पर से पाताल में कूद पड़ना क्योंकि यह तप की साधना हैं । तुम बढ़ती हुई ज्वालाओं से विचलित मत होना, यह स्वार्थ- परीक्षा है । पर शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि यह पाप और अनाचार की जननी है।" आगे उन्होंने कहा है- "जिस राजा के राज्य में सुरादेवी आदर को प्राप्त होगी वह राज्य कालवेदी पर नष्ट हो जाएगा। वहां न औषधि उपजेगी, न अनाज ।”
भारत सरकार ने भी अपने संविधान में स्वीकार किया है- राज्य अपनी जनता के पोषक भोजन और जीवन-निर्वाह के स्तर को ऊंचा करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्रारम्भिक कर्तव्यों में मुख्य समझेगा और विशेषतया राज्य वह प्रयत्न करेगा कि नशीले पेयों और नशीली दवाइयों के प्रयोग का निषेध करें ।
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