________________
विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली बना सकती है, अनुभूति की स्वच्छता में कमी तथा निर्णय लेने की शक्ति को घटा सकती है। मद्यपान और आयु
इटली के प्राध्यापक लोम्बोजो के निष्कर्ष के अनुसार शराब मानव जीवन को घटाने वाली प्रमुख चीजों में एक है। मद्यपान करने वाला २० वर्ष की आयु वाला व्यक्ति १५ वर्ष और जिए जब कि न पीने वाला ४४ वर्ष जी सकता है।
अनेक बीमा कम्पनियों ने शराब और मृत्यु-सम्बन्ध के बारे में अनेक महत्त्वपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत किये हैं। मेडिकल एक्एरिल मोर्टलरी इन्वेस्टिगेशन के केन्द्रीय ब्यूरो के अध्यक्ष ने २५ वर्षों तक २० लाख लोगों के जीवन-वृत्तों के सम्बन्ध में एक जांच का परिणाम देते हुए कहा है-यह सुनिश्चित है कि मद्यपायियों की अपेक्षा मद्यपान न करने वाले ५० वर्ष अधिक जीते हैं।
कानेक्टीकट म्युच्युअल के अध्यक्ष जैकब ग्रीने का कथन है-मैं इस बहु प्रचलित धारणा का विरोध करता हूं कि बीयर हानिरहित है। यदि शराबमुक्त लोगों की मृत्यु-संख्या १०० है तो यदा-कदा पीने वालों की मृत्यु संख्या १२२, संयमित पीने वालों की मृत्यु-संख्या १४२ तथा नियमित पीने वालों की मृत्यु-संख्या २१२ है। इतना ही नहीं, शराब के धंधे में लिप्त व्यक्तियों की मृत्यु-दर भी बढ़ जाती है।
यह सब कुछ होते हुए भी आज मद्यपान का प्रवाह बढ़ रहा है।
जहां पहले नशाबंदी का कानून था वह समाप्त कर दिया है। इसके पीछे शराब-प्रसारकों के व्यापक विज्ञापन अभियान एक मुख्य भूमिका निवाहते है। इससे लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर होता है और मद्यपान के प्रति अनैतिकता की धारणा टूट गयी है। आज तो सुरापान सभ्य-समाज में सामाजिक स्तर का परिचायक समझा जाने लगा है। उसके बिना अतिथि-सत्कार भी अधूरा समझा जाता है। सामाजिक उत्सव आदि में आजकल मद्यपान के लिए लोगों को विवश किया जाता है। बहुत लोग इच्छा न होते हुए भी केवल मजाक के पात्र बनने के डर से इनकार नहीं करते। पर बहुत लोग चाहकर वैसा करते हैं। वे नहीं जानते कि मद्यपान-सेवन उन्हें मानसिक परावलम्बिता तथा अत्यन्त खतरनाक दुर्व्यसन की ओर तेजी से धकेल रहा है।
विज्ञापन करने वाले लोग करोड़ों रूपये इस बात का प्रसार करने में लगाते हैं कि सीमित मात्रा में शराब पीना बुरा नहीं है। पर सीमित मात्रा में मद्यपान ही अपरिमितता की ओर प्रथम पग है। इसका कभी-कभी उपयोग भी अन्तत: एक आदत बन जाती है। आज जो लोग भयंकर पियक्कड़ हैं उन्होंने भी शराब पीना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org