SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली १८७ उम्र १६-२२ वर्ष के बीच की पायी गयी है। डॉ. हीले ने कहा है-लघुमात्रा में किया जाने वाला सुरापान भी किशोर-युवतियों को चारित्रिक दृष्टि से गिरा देता है। अनेक खोजों से यह बात अत्यन्त स्पष्ट हो गयी है कि सुरापान की अवस्था में महिलाएं अपना विवेक खो देती हैं। मद्यपान और तलाक तलाक-सम्बन्धी मामलों के सम्बन्ध में अपने अनुभव बताते हुए श्री मैके ने कहा-दिन-प्रतिदिन पति-पत्नी में मतभेद से पैदा होने वाली कतार मेरे समक्ष आती है, उसमें ७५ प्रतिशत मामलों में शराब ने ही झंझट प्रारंभ करवाया है जिसने तलाक के लिए कार्यवाही को आवश्यक बना दिया। मैं यह देखकर विशेष रूप से द्रवित हुआ हूं कि महिलाओं में भी सुरापान की लत बढ़ती जा रही है। वस्तुत: यह प्रत्येक दृष्टि से नैतिक पराभव की ही परिचायक है। इससे बालकों को भी अपराध करने का प्रत्यक्ष बढ़ावा मिलता है; क्योंकि शराबी माताएं बच्चों के प्रति उपेक्षाशील हो जाती हैं। उनका समय मदिरालय के चक्कर लगाने में ही बीतने लगता है। मद्यपान और गर्भस्थ शिशु ____ अब यह बात स्पष्ट हो गयी है कि गर्भवती नारी यदि अत्यधिक शराब पिये तो गर्भस्थ बच्चे में विकृति आ सकती है। यह बात केवल अत्यधिक शराब पीने वाली महिलाओं पर ही लागू नहीं होती अपितु कम मात्रा में कभी-कभी दिन में एक-दो बार कड़ी शराब पीने वाली महिलाओं पर भी लागू होती है। अमेरिका में यू. एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अल्कोहलीक अब्यूज एण्ड अल्कोहलिज्मने अपनी शोध में बताया है-प्रतिदिन एक-दो औंस विशुद्ध अल्कोहल यदि गर्भवती नारी लेती है तो उसके बच्चे के विकास में असामान्यता आ जाती है या जन्मजात विकृति आ जाती है। अनुमान है कि अमेरिका में स्कूल में पढ़ने वाले ५० से ७० लाख बच्चों में बुद्धि सम्बन्धी कोई-न-कोई विकार है। शोध करने पर पता चला है कि उनकी माताएं गर्भावस्था में शराब पीती थीं: क्योंकि शराब मां के रक्त में पहंचकर गर्भगत बच्चे की रक्तधारा में मिल जाती है। जब मां नशे की हालत में होती है तो गर्भवस्था में बच्चा भी नशे की हो जाता है। यह स्थिति उसके लिए बड़ी भयानक होती है; क्योंकि उसके यकृत का पूरा-पूरा विकास नहीं होता। वयस्क आदमी का यकृत २८ मि. ली. शराब का उपापचय एक घण्टे में कर सकता है। भ्रूण का अविकसित यकृत इस कार्य को बड़ी धीमी गति से कर पाता है। अत: बच्चे तक पहुंचने वाला अल्कोहल गर्भनाल में अपविस्तृत हो जाता है। जब मां के रक्त में अल्कोहल की मात्रा नीचे उतरेगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy