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दर्शन और विज्ञान
साधन और काल्पनिक सिद्धांत साध्य नहीं होते, प्रत्युत काल्पनिक सिद्धांतों के आधार पर वह तथ्यों का और प्रायोगिक निष्कर्षों का अनुमान करता है । संक्षिप्त में, भौतिक विज्ञान का कोई भी सिद्धांत तथ्यों द्वारा आधारित कल्पनाओं से भी अधिक अनेक भौतिक और दार्शनिक कल्पनाएं करता है । इसीलिए किसी भी सिद्धांत में परिवर्धन और परिवर्तन की सम्भावना रह जाती है।. इस प्रकार, वैज्ञानिक स्वयं इस तथ्य को जानने लगे हैं कि वर्तमान विज्ञान के रूप में उनके पास जो ज्ञान- राशि है, वह न केवल 'अपूर्ण' है अपितु 'संदिग्ध' भी है । इसी बात को आज तक जगत् के महान् वैज्ञानिकों ने बार-बार दुहराया है।
सुकरात (Socrates) से भी प्राचीन युनानी दार्शनिकों के अनुसार 'दर्शन' शब्द का अर्थ होता है- 'बहिर्जगत् का अध्ययन' ।' अब, आधुनिक शब्दाकोश के अनुसार 'बहिर्जगत् के अध्ययन' को 'विज्ञान' की संज्ञा दी गई है। इस प्रकार शब्द-रचना की दृष्टि से भी दर्शन और विज्ञान में अत्यधिक साम्य है।
'विज्ञान' और 'दर्शन' के परस्पर सम्बन्धों के विषय में विचारकों में विचार-भेद होते हुए भी एक विचार स्पष्टयता मान्य हो चुका है कि दर्शन और विज्ञान में अति निकट का सम्बन्ध है, और यदि प्रकृति की कोई 'प्रहेलिका' को सुलझाने का प्रयत्न दोनों के द्वारा हुआ हो; तो उनके तुलनात्मक अध्ययन से उस प्रहेलिका को सुलझाने में अवश्य सरलता हो सकती है। कुछ एक आधुनिक वैज्ञानिकों ने इस तथ्य का मूल्यांकन किया है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान के दर्शन-पक्ष की भी चर्चा की है । इसके परिणामस्वरूप एक नए विषय 'वैज्ञानिक दर्शन' (Philosophy of Science) का प्रादुर्भाव हुआ है। विज्ञान - जगत् में अपने 'अनिश्चितता के नियम' (Uncertainty Principle) से एक नया उन्मेष लाने वाले सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक वर्नर हाईजनबर्ग (Werner Heisenberg) ने 'भौतिक विज्ञान और दर्शन' नामक पुस्तक लिखकर, इस विषय में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस पुस्तक के परिचय में वैज्ञानिक एफ. एस. सी. नोर्थरोप ने लिखा है: ये प्रश्न खड़े होते हैं कि 'क्या भौतिक विज्ञान दर्शन से सर्वथा स्वतंत्र है?' तथा क्या दर्शन को हटाकर ही आधुनिक विज्ञान अधिक प्रभावशाली बना है?' '- इन दोनों प्रश्नों का उत्तर हाईजनबर्ग निषेध' में देते है ।' नोर्थरोप के इन शब्दों से उस विचार को स्पष्ट चुनौती मिल जाती है जो विज्ञान और दर्शन का पूर्व-पश्चिम की तरह मानता है और यह एक प्रमाणित सत्य हो जाता है कि आधुनिक विज्ञान की अत्यधिक सफलता में दर्शन का भी योग है ।
१. देखें, फोम युक्लिड टू एडिंग्टन, पृ० १ ।
२. फिजिक्स एण्ड फिलोसोफी इन्ट्रोडक्शन, पृ० १२ ।
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