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________________ १८२ जैन दर्शन और विज्ञान तृतीय चरण ० जर्दा-धूम्रपान एकदम छोड़ने का संकल्प करें, कम करने का नहीं। जर्दा-धूम्रपान कम करने से कोई खास लाभ नहीं होगा, बल्कि यह आपके तम्बाकू बन्द करने के इरादे को कमजोर करेगा। ० जर्दा-धूम्रपान छोड़ने का किसी निश्चित दिन का संकल्प करें। ___ त्यौहार का दिन, बच्चे का जन्म-दिन या किसी दिन देवालय में जाकर जर्दा-धूम्रपान छोड़ने की प्रतिज्ञा करें। इस प्रकार तम्बाकू अधिक दृढ़ निश्चय के साथ छोड़ी जा सकती हैं, क्योंकि इनसे जुड़ा भावनात्मक लगाव आपको प्रतिज्ञा-पूर्ति में मदद करता है। चतुर्थ चरण : आत्म-विश्वास रखिए की आप प्रतिज्ञा पूरी करेंगे। जर्दा-धूम्रपान को तिलांजलि देने के बाद रोजाना लिखिए कि क्या फायदे आप महसूस करते हैं; जैसे : ० मुंह से बदबू नहीं आना। ० बलगम कम आना। ० खांसी में कमी। दो महीने में दो-तीन किलो वजन बढ़ना (यानी बीड़ी, सिगरेट आपका शरीर इतना जलाती थीं।) यदि पूरी कोशिश के बावजूद जर्दा-धूम्रपान न छोड़ पाएं तो इस प्रकार के तरीके अपनाएं जिनसे इनकी मात्रा कम हो, जैसे दायें हाथ से बीड़ी सिगरेट पीने की बजाय बाएं हाथ से पीना, बीड़ी या सिगरेट को पॉलीथीन के बैग में रबर बैंड से बांध कर रखना, एक ही ब्रांड की सिगरेट पीना, खुद खरीद कर न पीना, घर पर नहीं पीना, आदि। जर्दा-धूम्रपान छोड़ने से होने वाली व्याकुलता या धूम्रपान तलब का क्या समाधान है? ० इसे नकारिए तथा जर्दा-धूम्रपान छोड़ने से होने वाले फायदों की बात सोचिए। ० सोचिए कि धूम्रपान से आपको ही नहीं बल्कि बीबी, बच्चों को भी कितना खतरा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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