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________________ विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली १८१ चाहने पर भी लोग जर्दा-धूम्रपान क्यों नहीं छोड़ पाते? आदत एवं नशे के वशीभूत हो चाहने पर भी लोग जर्दा-धूम्रपान नहीं छोड़ पाते एवं इस लत के दुष्परिणामों की ओर आंख मूंद लेते हैं। धूम्रपान के साथ प्रविष्ट होने वाले धुएं से जो नुकसान शरीर में होता है, यदि आंखों से उसे देखना संभव होता तो धूम्रपान कोई नहीं करता। लेकिन विडम्बना यह है कि जब इस नुकसान से होने वाली लक्षण उभरने लगते हैं तब तक शरीर में बीमारी जड़े जमा कर असाध्य होने लगती है। क्या कोई ऐसी चीज है जो जर्दा-धूम्रपान छूड़ा सके? पक्का इरादा ही जर्दा-धूम्रपान छुड़ा सकता है, अन्य कोई चीज या जादू ऐसा नहीं है जो यह काम कर सकें। कुछ लोग धूम्रपान छोड़ जर्दा या तम्बाकू खाना शुरू करते हैं। लेकिन कुछ लोग धूम्रपान बन्द कर लगातार जर्दा खाने लगते हैं। इससे कोई विशेष लाभ नहीं होता, क्योंकि हृदय व पेट की बीमारियां जर्दे के कारण भी उतनी ही होती हैं। जर्दा-धूम्रपान कैसे छोड़ा जाए? प्रथम चरण : छोड़ने से पहले निम्न प्रश्नों का उत्तर सोच कर लिखिए(अ) मैंने जर्दा-धूम्रपान क्यों शुरू किया? (ब) मैं जर्दा-धूम्रपान क्यों करता हूं। (स) मैं जर्दा-धूम्रपान क्यों छोड़ना चाहता हूं? अधिकतर ऐसा देखा गया है कि अ और ब का उत्तर एक नहीं होता है। यदि ऐसा होता है तो कहीं आप जर्दा-धूम्रपान का सेवन मजबूरी में तो नहीं कर रहे है? द्वितीय चरण : जहां तक हो सके अपने साथ जर्दा-धूम्रपान लेने वाले दोस्त या सहकर्मी को भी जर्दा-धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करें और साथ-साथ तम्बाकू-त्याग का निश्चय करें। दो दोस्त यदि एक साथ तम्बाकू से छुटकारा पाने की चेष्टा करें, तो ज्यादा पक्के इरादे से जर्दा-धूम्रपान छोड़ सकते हैं, और इन्हें त्यागने से शुरू में होने वाली व्याकुलता का अधिक दृढ़ता से सामना कर सकते हैं। (परिवारजनों को चाहिए कि जर्दा-धूम्रपान बन्द करने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहित करें, उसका मनोबल बढ़ाएं)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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