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विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली
१७७ १५. लगातार जर्दा-धूम्रपान करने से व्यक्ति को खाना कम स्वादिष्ट लगता है। १६. गर्भावस्था में बीड़ी या तम्बाकू के सेवन या सिगरेट पीने से गर्भ के बच्चे
पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि गर्भ का बच्चा लड़का है तब उसे
कुप्रभाव की आशंका अधिक होती है। १७. बीड़ी एवं सिगरेट के धुएं में ५ प्रतिशत घातक गैस कार्बन मोनोआक्साइड
होती है, जो कि खून के आवश्यक तत्त्व हीमोग्लोबिन से मिलकर कार्बोक्सी-हीमोग्लोबीन नामक विषैला पदार्थ बनाती है। इससे प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होती है तथा शरीर में पोलीसाइथेमिया की बीमारी हो जाती है और नर्वस सिस्टम की कार्य-क्षमता में विकार आ जाता है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की शारीरिक क्षमता में भी कमी आती है और
थोड़ा परिश्रम करने के पश्चात् ही ऐसे लोगों को थकान आने लगती है। १८. एक सिगरेट पीने धूम्रपान करने वाले व्यक्ति का जीवन पांच मिनट कम
होता है, अर्थात् कोई व्यक्ति १२ सिगरेट रोजाना पीता है, तब उसकी उम्र
एक घंटा प्रतिदिन घटती जाती है। १९. एक पैकेट सिगरेट पीने वाला व्यक्ति यदि सिगरेट के बजाय इस
धन को लगातार २५ वर्ष तक बैंक में संचित करता रहे तो इस अवधि के उपरान्त ३.५ लाख रुपये बैंक में जमा होंगे। जबकि २५ वर्ष तक धूम्रपान करते रहने के पश्चात् शरीर को स्वस्थ रखने हेतु ५००-१००० रुपये प्रति
माह चिकित्सा पर खर्च करने पड़ते हैं। जर्दा-धूम्रपान: आत्म-हत्या का तरीका
जर्दा-धुम्रपान का सेवन करने वाले अधिकतर व्यक्ति तम्बाकू के घातक कुप्रभावों से प्राय: अनभिज्ञ होते हैं, लेकिन बहुत से व्यक्ति इसकी बुराइयों को जान लेने के बावजूद जर्दा-धूम्रपान का सेवन करना जारी रखते हैं और कालांतर में इसकी वजह से उत्पन्न बीमारियों से काल-कवलित होते हैं। इस श्रेणी के व्यक्तियों की मृत्यु को तो "आत्म-हत्या" कहना ही अधिक उपयुक्त होगा। आत्म-हत्या के अन्य कारणों से यह सिर्फ इसलिए भिन्न है कि अन्य तरीके जैसे आत्म-दाह, फांसी लगाना, या जहर खाने से तत्काल मृत्यु होती है, जबकि तम्बाकू तम्बाकू से जनित बीमारियों से व्यक्ति धीरे-धीरे, घट-घुट कर मरता है। अत: जर्दा-धूम्रपान से होने वाली मृत्यु वस्तुत: आत्महत्या का सबसे प्रचलित तरीका है। हर चार धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में से एक (२५ प्रतिशत) की मृत्यु जर्दा-धूम्रपान से जनित बीमारियों से होती है।
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