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________________ १७२ जैन दर्शन और विज्ञान भी भरपेट भोजन मिलेगा, जिससे कुपोषण से होने वाले रोग घटेंगे व उनकी दवाइयों पर होने वाला खर्च बचेगा। अनाज सस्ता होने से मंहगाई सूचकांक गिरेगा, महंगाई भत्तों की बचत होगी। मजदूर आंदोलन, हड़तालें आदि कम होंगी जिससे उत्पादन बढ़ेगा व कीमतें कम होंगी। उत्पादन बढ़ने से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी और राष्ट्र को विदेशी कों के लिए हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। । अत: पश-बध रोकना केवल एक धार्मिक, नैतिक या दया की बात ही नहीं है बल्कि राष्ट्र की आर्थिक उन्नति व स्वास्थ्य-रक्षा की परम आवश्यकता भी हैं। पर्यावरण अपनी सुरक्षा व प्रसन्नता चाहने वाले को दूसरों की सुरक्षा व खुशी प्रदान करना सीखना चाहिए अन्यथा प्रकृति का दण्ड देने का अपना अलग ही नियम है। जिस प्रकार जंगल नष्ट होने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है और हम वन-रक्षा व पेड़ लगाओ आंदोलन पर अपनी पूरी शक्ति लगा रहे हैं, उसी हमें अपने अस्तित्व व पर्यावरण व परिस्थितिक (Environment & Ecological) संतुलन को कायम रखने के लिए एक दिन पशु-पक्षी बचाओ आंदोलन करना पड़ेगा। इस कार्य में जितनी देर होगी उतनी ही अधिक हानि होगी। ३. (तम्बाकू-वर्जन) व्यसनों की विनाशलीला हमारा शरीर जीवन-विकास में सहायक होने वाली एक मशीन है। उसका दुरुपयोग न करना तथा उसे स्वस्थ बनाए रखना ही समझदारी है। यह एक सामान्य विवेक की बात है, किन्तु आज का मनुष्य इस ओर विशेष ध्यान नहीं देता। वह निरन्तर मृत्यु से डरता है, पर प्रत्येक संभाव्य रीति से वह अपने आपको त्वरता के साथ मृत्यु के नजदीक ले जा रहा है। अज्ञान, निष्क्रियता, तनाव तथा खतरनाक बुरी आदतों के द्वारा हजारों तरीकों से मनुष्य अपने शरीर का दुरुपयोग करता है। ये तरीके हमने अपनी जीवन-पद्धति में अपना रखे हैं। उदाहरणत: आज मद्यपान और धूम्रपान मनुष्य सभ्यता के अंग बन चुके हैं। धूम्रपान प्रत्येक सिगरेट के डिब्बे पर तथा विज्ञापन में यह कानूनी चेतावनी दी जाती है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। धूम्रपान से अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे-वातस्फीती (एम्फीजीमा) हृदय-रोग, चिरकालक खांसी आदि। इन दिनों में जनता के ध्यान को आकर्षित करने वाला धूम्रपान का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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