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________________ १५५ विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली बड़े महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए है। पहले कार्बोहाड्रेट पदार्थ शक्ति के मुख्य स्रोत थे। आज उनका स्थान चीनी ने लिया है। इसके पीछे कारण रूप हल्के पेयों (soft drinks) में लोगों की रुचि का अत्यधिक बढ़ना है। चीनी की खपत के इस रूप में बढ़ने के गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। इसमें सबसे प्रमुख बात तो यह है कि चीनी में पोषण-तत्त्व नगण्य-सा है। फिर भी यह पोषक आहारों पर हावी होती जा रही है। ............ आज औसत अमेरिका के भोजन में ४० प्रतिशत कैलोरी चीनी से प्राप्त होती है। पर हल्के पेय, तैयार मिठाइयों आदि का प्रयोग कम करके उसे मात्र १५ प्रतिशत कैलोरी चीनी से प्राप्त करनी चाहिए। हमारे शरीर को जो शर्करा (ग्लुकोज) चाहिए वह बाजार में मिलनेवाली चीनी में बहुत कम है। दानेदार शर्करा में जो मिठास होती है वह हमारे शरीर में सीधे काम नहीं आती। उसे पचाने के लिए उल्टा हमारे शरीर-तंत्र को काम करना पड़ता है। इसीलिए वह लाभ की अपेक्षा हानि ही अधिक करती है। नमक का ज्यादा प्रयोग भी स्वास्थ्य को कमजोर बनाता है। इस सलाह के पीछे मुख्य आधार यह है कि नमक कुछ लोगों के रक्तचाप को बढ़ा देता है। लगभग २० प्रतिशत लोग जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, उच्च रक्तचाप से पीड़ित रहते हैं। कुछ अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि अधिक नमक खाने से हृदय-रोग, पेट का कैंसर, सिरदर्द आदि की आशंका रहती है। तीन ग्राम नमक से ज्यादा नमक मनुष्य के लिए अनावश्यक है और इतना नमक तो खाद्य-पदार्थों में बिना अतिरिक्त नमक मिलाये ही प्राप्त हो जाता है। यदि नमक का प्रयोग कम हो जाए तो दस-बीस प्रतिशत बीमारियां भी कम हो जाएं। नमक के कारण लोग ज्यादा खाते है। कृत्रिम स्वाद पैदा कर हमने नमक को भोजन का प्रधान तत्त्व मान लिया जिससे जीभ को स्वाद मिले, डाक्टरों को संरक्षण मिले, उनका धन्धा चले और बीमारियां अच्छी तरह से पलें। नमक छोड़ना केवल साधना का प्रयोग ही नहीं, स्वास्थ्य का प्रयोग भी है। यदि पूरे सप्ताह में सात दिन नमक न छोड़ सकें तो एक, दो, तीन दिन ही छोड़ कर देखें। यह प्रियता और अप्रियता से बचने का प्रयोग होगा, संकल्प-शक्ति का प्रयोग होगा तथा साथ-साथ स्वास्थ्य का भी प्रयोग होगा। हृदय-रोग की संभावना कम होगी, अन्तव्रण, (कैंसर) की संभावना कम होगी। नमक कृत्रिम ढंग से उत्तेजना पैदा करता है, रक्त को अद्रव बनाता है। जब वह उत्तेजना नहीं होगी, मानसिक शान्ति में भी सहयोग मिलेगा। नमक का प्रयोग साधना के लिए वर्जित होता है और स्वास्थ्य के लिए यह विघ्न है। कुछ प्रयोग आयंबिल तपस्या एक प्रयोग है जिसमें कोरा एक धान्य और पानी चलता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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