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जैन दर्शन और विज्ञान उन व्यक्तियों के बीच होने का वर्णन होता है जिनका कोई सीधा सम्बन्ध इस तरह की घटनाओं से नहीं जोड़ा जाता। प्राय: इन घटनाओं का कारण भूत-प्रेत अथवा शैतान' आदि को समझा जाता है। जर्मन भाषा में इस कारण' का नाम है 'पोल्टर गाइस्ट' (पाल्टर्न यानी शोरगुल करने वाली व गाइस्ट यानी रूह या आत्मा)।
अभ्यास १. विभिन्न धर्मों में पुनर्जन्मवाद की अवधारणा का उल्लेख करते हुए जैन
दर्शन के आत्मवाद एवं पुनर्जन्मवाद का विश्लेषण करें। २. परामनोविज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जन्म के साक्ष्यों पर चल रहे शोधकार्य की
समीक्षा करें। ३. जैन दर्शन के सन्दर्भ में आधुनिक परामनोविज्ञान की पुनर्जन्म सम्बन्धी
घटनाओं की व्याख्या की संभावनाओं को स्पष्ट करें। ४. जैन दर्शन में वर्णित अतीन्द्रिय ज्ञान के स्वरूप को स्पष्ट करें। ५. परामनोविज्ञान में अतीन्द्रिय प्रत्यक्षण, दूरबोध या परचित्तबोध की घटनाओं
को अपने शब्द में प्रस्तुत करें तथा जैन दर्शन के संदर्भ में उनकी समीक्षा
करें। ६. जैन दर्शन में वर्णित योगज उपलब्धियों की आधुनिक मन:प्रभाव की
घटनाओं के सन्दर्भ में मीमांसा करें।
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