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जैन दर्शन और परामनोविज्ञान
१३७ नवम्बर १९७२ मे गैलर ने इंग्लैण्ड में डेविड डिम्बलबाई दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। यहां भी गैलर ने अनेक वैज्ञानिकों व आलोचकों के समक्ष एक कांटे को मोड़ दिया, घड़ियों की सुइयां आगे-पीछे कर दी और स्वयं डेविड डिम्बलाई के कमरे के दरवाजे की चाबी उनको देखते-देखते मोड़ दी।
इस प्रदर्शन से प्रभावित होकर, किंग्ज कॉलेज लंदन में अनुप्रयुक्त गणित के प्रोफेसर जॉनटेलन ने गेलर पर परीक्षा करने का निश्चय किया। फरवरी १९७४ में गेलर इनके साथ वहां के धातुकर्म-विभाग (मटलैर्जिकल डिपार्टमेंट) द्वारा तैयार की गई वस्तुओं पर प्रयोग करने को तैयार हो गया। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में गैलर सभी प्रयोगों में सफल रहा। उसने धातुओं की वस्तुओं को पीट कर इस तरह मोड़ दिया कि वैसा उस वस्तु के पिघलने, टूटने व पुन: कड़ापन ग्रहण कर लेने से ही संभव था। उसने पोटाशियम ब्रोमाइड के दो सेंटीमीटर लम्बे एक रवे के कोई दस सैकिंड तक प्रहार करके टुकड़े कर दिये। कांच की नलियों के अन्दर बन्द धातुओं की पत्तियों व दोनों सिरों पर बन्द तार की जालीदार नली के अन्दर एक अल्मुनियम की पत्ती आदि को बिना उन्हें छए मोड़ दिया। लकड़ी या प्लास्टिक पर वह कोई प्रभाव नहीं डाल सका। गैलर ने रेडियो-सक्रियता नापने के एक यन्त्र 'गीगर काउन्टर' में भी काफी विक्षेपन उत्पन्न कर दिया।
ऊरी का दावा यह भी है कि वह अपने शरीर से बाहर निकल कर हजारों मील दूर की यात्राएं करने की क्षमता रखता है। अंद्रीजा पहारिख ने एक दिन उससे यह दावा सिद्ध करके दिखाने को कहा। अंद्रीजा ने कहा, तुम यहीं बैठे-बैठे ब्राजील की सैर कर आओ। गैलर का कहना है कि उसने आंख बन्द करके ब्राजील की कल्पना की। कुछ देर बाद उसने अपने आपको एक भीड़ भरे शहर में पाया। गैलर ने अपने शब्दों में “ब्राजील पहुंचने पर मैंने एक राहगीर से पूछा, मैं कहां पर हूं? उसका उत्तर था-रियोडि जेनेरो में। तब तक एक मनुष्य भीड़ से बाहर निकला और मुझे १०,००० क्रूजों का नोट थमा गया। जब जागा तो मेरे हाथ में वह नोट था।"
विभिन्न परीक्षणों-प्रयोगों, अनेक प्रदर्शनों, कार्यक्रमों व छुटपुट कई व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से दिखाए करतबों-करिश्मों के बावजूद भी गेलर का व्यक्तित्व अभी संशय-मुक्त सिद्ध नहीं हुआ है। जनसाधारण से लेकर विज्ञानियों तक में वह एक अत्यन्त विवादास्पद व्यक्ति बना हुआ है। ऊरी संबंधी यह संशयात्मक आलोचनात्मक पक्ष भी निस्संदेह विचारणीय है।
अनेक विवरण हमें ऐसे भी मिलते हैं जिनमें वस्तुओं का स्वत: हिलना-डुलना, आवाजों का होना, पत्थरों आदि का फेंका जाना बिना किसी की उपस्थिति के अथवा
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