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________________ १३४ जैन दर्शन और विज्ञान टेबुलें पूरी भर जायें-परीक्षण हेतु इतने उपकरण लेकर १९७३ में बेन्सन हर्बर्ट पुन: लौटकर आये। मादाम मिखाइलोवा ने उनके सभी प्रयोगों में पूरा सहयोग दिया। बेन्सन हर्बर्ट ने हर तरह से इस बात की अच्छी तरह छानबीन की कि कहीं कोई सामान्य कारण मिल जाये। मादा मिखाइलोवा के शरीर के एक-एक इंच की जांच की गई। कमरे का पूरा फर्श, हर कुर्सी, टेबुल, यहां तक कि कम्पास की भी विस्तारक लेन्स द्वारा जांच की गई। अन्तत: सभी तरह के परीक्षण करने के बाद बेन्सन हर्बर्ट को भी कहना पड़ा कि मादाम मिखाइलोवा में “वस्तुओं में बिना किसी भी ज्ञात शक्ति का उपयोग किये, इच्छानुसार गति उत्पन्न करने की क्षमता है।" ___ मादाम मिखाइलोवा ने हर वैज्ञानिक के साथ, उसके सभी प्रकार के यन्त्रों से, उसके द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की दिशाओं में, उन पर हर तरह से परीक्षण करने में पूरा सहयोग दिया है और कोई भी वैज्ञानिक न तो यह कह सका है कि मादाम मिखाइलोवा धोखाधड़ी करती है और न ही यह बतला सका कि वे किस भौतिक शक्ति का उपयोग करती हैं। १९७० में डॉ. लुइसा राइन ने मन:प्रभाव पर एक पुस्तक लिखी है : ‘माइंड ओवर मैटर'। डॉ. जे. बी. राइन का उनके सहयोगियों ने ड्युक विश्वविद्यालय मै अतीन्द्रिय प्रत्यक्षण के साथ-साथ अनेक वर्षों तक मन:प्रभाव संबंधी सैकड़ों परीक्षण करके मन:प्रभाव के सांख्यिकीय साक्ष्य एकत्रित किये हैं। एक अन्य व्यक्तित्व, जो कि वैज्ञानिकों के लिए उलझन बना हुआ है, वह एक इजरायली युवक ऊरी गैलर। गैलर का जन्म अबीब में २० दिसम्बर १९४६ को हुआ था। उसकी माता विख्यात मनोवैज्ञानिक सिगमण्ड फायड की रिश्तेदार थीं। गैलर का कहना है कि उसमें बचपन से ही कुछ परासामान्य क्षमताएं थीं। जब वह बच्चा ही था, ताश खेलकर लौटी अपनी मां को बता दिया करता था कि वे जुएं में कितना हारी या कितना जीती थीं। जब वह सात वर्ष का था तो उसकी उपस्थिति में घडड़ी की सुइयां अपने-आप इधर-उधर हो जाया करती थीं। धीरे-धीरे उसमें ये शक्तियां बढ़ती गईं। १९६७ के अरब-इजरायली युद्ध के बाद तो वह सार्वजनिक रूप से इनका प्रदर्शन करने लगा। कहते हैं कि उसने एक पार्टी में दूसरे कमरे में खींचे गये चित्र की वैसी की वैसी अनुकृति बना कर दिखा दी और एक चाबी को बिना छुए मोड़ दिया। धीरे-धीरे वह • पूरे इजराइल में जाना जाने लगा। अब होटलों,क्लबों आदि में अपने करतब दिखाना ही उसका काम हो गया था। १९६९ में जब उसने एक स्कूल में अपनी शक्तियों का · प्रदर्शन करते हुए अनेक धातुओं की वस्तु को तोड़-मरोड़ दिया तो वैज्ञानिकों का भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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