________________
जैन दर्शन और परामनोविज्ञान
१०५
सकती है। इस प्रकार विग्रह गति के पश्चात् भी यदि आनुपूर्वी नाम कर्म के द्वारा वर्तमान शरीर के निर्माण में योगदान मिलता है, तो पूर्व शरीर के चिह्नों की पुनर्जन्म में भी विद्यमानता संभव हो जाती है ।
मृत शरीर का अधिग्रहण
पूर्व जन्म की घटनाओं में कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं, जिनमें एक मृत व्यक्ति के शरीर में दूसरे मृत व्यक्ति की आत्मा प्रवेश कर जाती है और वह मृत व्यक्ति पुनः जीवित हो जाता है, पर अब वह अपने आप को दूसरी आत्मा के रूप में बताता है। जैसे—जसवीर नामक बालक की घटना में घटित हुआ । रसुलपुर नामक गांव में गिरधारीलाल जाट का पुत्र जसवीर लगभग साढ़े तीन वर्ष की आयु में चेचक की बीमारी में सन् १९५४ के गर्मी के मौसम (अप्रेल-मई) में मृत्यु को प्राप्त हुआ । मृत बच्चे की अन्तक्रिया रात्रि का समय होने से प्रातः काल तक स्थागित रखी गई। मृत्यु के पश्चात कुछ घण्टों बाद ही शव में थोड़ी-सी हलचल नजर आई । कुछ क्षणों पश्चात् लड़का पुनः जीवित हो गया । पर अब तक बोलने की स्थिति में नहीं था। कुछ दिनों बाद जब वह बोलने की शक्ति को प्राप्त कर चुका था, . उसने बताया“मैं वेहेदी ग्राम के निवासी शंकर नामक ब्राह्मण का पुत्र हूं और इसलिए मैं जाटों के हाथ का खाना नहीं खाऊंगा। जसवीर ने यह भी बताया कि पिछले जन्म में उसकी मृत्यु तब हुई थी जब वह दो बैलों के रथ पर किसी बरात में जा रहा था जहां से उसे विषैली मिठाई दे दी गई थी। वह मिठाई उसे उस व्यक्ति ने खिलाई थी जिसको उसने कुछ धन ऋण में दिया था। जब वह रथ में बैठकर जा रहा था, अचानक उसे चक्कर आए, वह रथ से गिरा और उसके सिर में चोट आई जिससे कुछ घण्टों बाद उसकी मृत्यु हुई।
जसवीर द्वारा बताई गई इन बातों को गिरधारीलाल ने छिपाने की कोशिश की, पर उसके द्वारा ब्राह्मण के हाथों बनाया हुआ खाना खाने के आग्रह के कारण वह बात ब्राह्मणों में फैल गई । लगभग तीन वर्ष पश्चात् यह बात किसी माध्यम से वेदी गांव तक पहुंची। बालक जसवीर द्वारा बताई गई बातें वेहेदी गांव के शंकरलाल त्यागी नामक ब्राह्मण के पुत्र शोभाराम के जीवन से हूबहू मिलती थी। शोभाराम की मृत्यु सन् १९५४ के मई महीने में ठीक उसी प्रकार रथ में से गिर जाने कारण सिर में चोट आने से हुई थी, जैसे बालक जसवीर ने बताया । हालांकि विषैली मिठाई और ऋण की बात का उसके परिवार वालों को कोई पता नहीं था ।
डॉ. स्टीवनसन ने इस सारी घटना की बहुत ही सूक्ष्मता से जांच की है तथा सारी घटना की यथार्थता को असंदिग्ध माना है । शोभाराम और जसवीर की
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org