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जैन दर्शन और विज्ञान आदि के प्रयोग में अभिव्यक्त अतीन्द्रिय बोध के लगभग अकाट्य प्रमाणों का अभ्युदय, इन दोनों का विज्ञान की भौतिकवादी मूल स्थापनाओं से सीधा टकराव: परिणाम-स्वरूप जगह-जगह संवेदनशील विचारकों को यह सोचने को बाध्य होना कि यथार्थ को निश्चित रूप से कैसे जाना जाए। मान्यताओं में विवाद चाहे जितना भीषण रहा हो, इस बारे में अब लगभग मतैक्य था कि विवाद का निपटारा किस मार्ग से संभव है। यह मार्ग है-प्राक्कल्पनाओं (हाइपोथीसिस), प्रेक्षणों (आवजर्वेशन) व प्रयोगों (एक्सपेरीमेन्ट्स) का यानी विज्ञान का। परिणामस्वरूप हुआ-एक नवीन विज्ञान का उद्भव-सभी प्रकार की परासामान्य प्रघटनाओं का पूर्वाग्रह-मुक्त दृष्टि से वैज्ञानिक विधियों द्वारा अध्ययन करने वाले विज्ञान-परामनोविज्ञान का।
- १९३४ में ही कुछ ऐसे प्रयोग किए गए, जिनसे कि 'मन:प्रभाव' (साइकोकाइनेसिस) यानी मन द्वारा पदार्थ को प्रमाणित करने की क्षमता की जांच की जा सके। अनेक वर्षों तक किए गए प्रयोगों के आधार पर यह भी लगभग सिद्ध कर दिया गया कि व्यक्तियों में मन:प्रभाव की शक्ति भी होती है।
१९४८ में जब डॉ. राइन ने रिच आफ द् माइंड' नामक पुस्तक प्रकाशित की तब तक परामनोविज्ञान स्पष्टत: एक विज्ञान के रूप में उभर कर आने लगा था। इसका अपना ही एक विशिष्ट अध्ययन क्षेत्र उभरा जिस पर अन्य किसी विज्ञान का दावा नहीं था। इस क्षेत्र की स्पष्ट सीमाएं भी थीं और इसकी अध्ययन-वस्तु को वर्गीकृत भी किया जा सकता था। विभिन्न प्रकार की वर्गीकृत श्रेणियों के अध्ययन हेत उपयुक्त पद्धति-विज्ञान (मेथडोलॉजी) भी विकसित कर लिया गया है।
१९३२ में डॉ. राइन ने ड्यूक विश्वविद्यालय से अलग एक प्रतिष्ठान की स्थापना करके उसके तत्वावधान में कार्य करना प्रारम्भ किया। इस प्रतिष्ठान को नाम दिया गया फाउंडेशन फॉर रिसर्च इन्टू द् नेचर ऑव मैन'।
इस शताब्दी के छठे दशक में अमेरिका में व्यावसायिक परामनावैज्ञानिक शोधकर्ताओं के एक संगठन 'पैरासाइकोलॉजीशन एसोसिएशन' की स्थापना की गई। इस संगठन के तीन बार यह प्रयत्न किया कि अमेरिका में विज्ञान की सबसे बड़ी संस्था 'अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द् एडवान्समेंट ऑव साइंस' द्वारा परामनोविज्ञान को एक विज्ञान के रूप में मान्यता प्रदान की जाए, लेकिन इस दावे को सदा अस्वीकार किया गया।
१९६९ में पैरासाइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने मान्यता प्राप्ति हेतु पुन: प्रयत्न किया। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एउवांसमेंट ऑव साइंस जो अमेरिका का सर्वोच्च वैज्ञानिक प्रतिष्ठान है के द्वारा परामनोविज्ञान को मान्यता मिल गई ।
आज विश्व के लगभग सभी देशों में सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा
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