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________________ जैन दर्शन और परामनोविज्ञान परामनोवैज्ञानिक शोध-कार्य किया जा रहा है। पुनर्जन्म पर परामनोविज्ञान में अनुसन्धान : इतिहास पिछली शताब्दी के अन्तिम दशक में भी श्री फील्डिंग हाल ने उनके द्वारा बर्मा में अध्ययन किये गये ६ पुनर्जन्म वृत्तांतो को प्रकाशित किया था, किन्तु गंभीर एवं व्यवस्थित ढंग से पुनर्जन्म की साक्षियों की जांच प्रारम्भ करने का श्रेय भारत के रायबहादुर श्यामसुंदरलाल को, जो कि किशनगढ़ (राजस्थान) के दीवान रहे, दिया जा सकता है। सन् १९२२-२३ में आपने अपने एक साथी श्री रामगोपाल मिश्र के सहयोग से पुनर्जनम के वृत्तान्तों की खोजबीन हेतु एक ‘फार्मर लाइफ रिसर्च एसोसिएशन' का गठन किया। ___पाश्चात्य देशे में भी यदा-कदा उभर आने वाली पूर्वजन्म की स्मृतियों के वृत्तांतों की ओर विद्वानों का ध्यान आकृष्ट होने लगा। श्री गेब्रियल डिलेनी ने १९२४ में अपने परिचित व स्वयं के अध्ययन किये हुए कुछ पुनर्जन्म की स्मृत्तियों के वृत्तांत एक पुस्तक में प्रकाशित किये। कुछ वर्ष पश्चात् एक अन्य विद्वान श्री रॉल्फ शिर्ले ने कुछ डिलेनी द्वारा वर्णित व कुछ स्वयं अध्ययन किये हुए पूर्वजन्म की स्मृतियों के विवरण द् प्राब्लम आफ रिबर्थ' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। भारत में केकयी नन्दन सहाय, एस. सी. बोस, हेमेन्द्र नाथ बनर्जी, कीर्ति स्वरूप रावत आदि द्वारा इस दिशा में विशेष प्रयत्न किए गए। सौभाग्य से पिछले १५ वर्षों से इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया है। विश्व के वैज्ञानिकों का ध्यान काफी अर्से से इन घटनाओं की ओर खींच चुका था। विश्व में अनेक स्थानों पर परामनोविज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति से शोध कार्य करने के लिए जो शोध-संस्थान स्थापित हुए हैं, उनमें इन पूर्व-जन्म-स्मृति घटनाओं का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जा रहा है। पैंसिलवेनिया विश्वविद्यालय, क्लार्क विश्वविद्यालय (बोरसेस्टर मेसेच्यूसट्स), स्टेण्डफोर्ड विश्वविद्यालय, हारवार्ड विश्वविद्यालय, ड्यूक विश्वविद्यालय, लिंडन विश्वविद्यालय, उट्रेस्ट विश्वविद्यालय (हॉलेण्ड), केम्ब्रीज विश्वविद्यालय, फ्राईबर्ग विश्वविद्यालय (प० जर्मनी), पिट्सवर्ग विश्वविद्यालय, सेंट लोसेफ्ज कॉलेज (फिलाडेलफिया), वेलेण्ड कॉलेज (प्लेन्व्यू, टैक्सास), नेशनल लिटोरल विश्वविद्यालय (रोजादियो आर्जेन्टीना), लेनिनग्राड स्टेट विश्वविद्यालय (यू. एस. एस. आर.) किंग्स कॉलेज विश्वविद्यालय (हलिफैक्स) तथा विर्जिनिया विश्वविद्यालय के अन्तर्गत के बीसों चोटी के वैज्ञानिक, मनश्चिकित्सक एवं मनोविज्ञानविद् परामनोविज्ञान के क्षेत्र में शुद्ध वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य कर रहे हैं। पूर्व-जन्म-स्मृति या ऐसी अन्य परा-सामान्य घटनाओं का सर्वेक्षण सत्यता की जांच, तथ्यों का विश्लेषण संबंधित शाक्षियों का परीक्षण आदि का निष्पक्ष एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003127
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni, Jethalal S Zaveri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Science
File Size15 MB
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