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________________ ३२ अप्पाणं सरणं गच्छामि कहा-'भंते! आप मेरे पास कभी नहीं आते।' बुद्ध बोले- 'अभी जरूरत नहीं है, जिस दिन जरूरत होगी, मैं अवश्य आऊंगा।' वह बूढ़ी हो गयी। उसका शारीरिक लावण्य मिट गया। अब उसके पास कोई नहीं आता। तब बुद्ध पहुंचे और बोले-'प्रिये! मैं आ गया।' आम्रपाली ने कहा-'भंते! अब समय बीत गया। अब मेरे में बचा ही क्या है? वह शारीरिक सौन्दर्य अब नहीं रहा। आप आज क्यों आए?' बुद्ध ने कहा-'प्रिये! यही तो समय है आने का। पहले तुझे मेरी आवश्यकता भी नहीं थी। धर्म की आवश्यकता अब तुझे महसूस हो रही है। मैं उसकी पूर्ति करने आया हूं।' पीड़ा और दुःख के समय भगवान् और धर्म को याद किया जाता है। जब व्यक्ति महसूस करता है कि उसकी उपेक्षा हो रही है, सब उसको सता रहे हैं, वह बूढ़ा और शिथिल हो गया है, व्याकुलता बढ़ गयी है, मन बेचैन है, तब उसे भगवान् याद आते हैं, धर्म की बात याद आती है। दूसरी बात है कि जब मन में जिज्ञासा जाग जाती है कि मैं सत्य का साक्षात्कार करूं। मैं यह जानूं कि आत्मा क्या है? चैतन्य क्या है? मोक्ष क्या है? उस जिज्ञासु अवस्था में व्यक्ति भगवान् की उपासना कर अपने को समाहित करना चाहता है। जिज्ञासा सत्य तक पहुंचाने वाला मार्ग है। तीसरी बात है कि ज्ञानी व्यक्ति परम की उपासना करता है, ईश्वर और सत्य के प्रति समर्पित हो जाता है। ज्ञान की आराधना सत्य की आराधना है। ज्ञानी जान जाता है कि संसार में सार क्या है और निस्सार क्या है। वह जानता है कि सत्य का मार्ग कौन-सा है? चौथी बात है कि अर्थार्थी व्यक्ति भगवान् की उपासना करता है। जब व्यक्ति के मन में पदार्थ की आकांक्षा उभर जाती है वह उसकी पूर्ति के लिए भगवान् की उपासना करता है, धर्म की आराधना करता है। यदि आदमी को यह पता चल जाए कि ध्यान शिविर में भाग लेने वालों को धन भी बांटा जाता है, तो यहां इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठी हो जाएगी कि उसे संभाल पाना कठिन हो जाएगा। साध्य-शुद्धि : साधन-शुद्धि ___ मैं ध्यान के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए दूसरे कृत्रिम आकर्षण पैदा करना नहीं चाहता। हमने साध्य-शुद्धि के साथ-साथ साधन शुद्धि का पाठ भी पढ़ा है। केवल साध्य की शुद्धि ही पर्याप्त नहीं होती। उसके साथ साधन की शुद्धि भी आवश्यक होती है। ध्यान शिविर का एक निश्चित उद्देश्य है। उसमें आने वाले साधक एक निष्ठा के साथ चलते हैं। यहां केवल अध्यात्म है, कोरा अध्यात्म । कुछ भी अतिरिक्त नहीं। जो व्यक्ति अपनी पीड़ा को शान्त करना चाहता है, सत्य को जानना चाहता है, कषाय को दूर करना चाहता है, वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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