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________________ ३१० अप्पाणं सरणं गच्छामि ये ही समस्याएं नहीं हैं। आज विश्व के नेता अनाज, बीमारी और अशिक्षा की समस्या को मिटाने के लिए कृत-संकल्प हैं। अनेक उपाय खोजे जा रहे हैं। पृथ्वी पर उत्पन्न अन्न से अनाज की समस्या हल न हो सकने के कारण समुद्र पर खेती करने की बात सोची जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस चेष्टा में लगा हुआ है कि वह सारे विश्व को सन् २००० तक रोगमुक्त कर देगा। डब्ल्यू.एच.ओ. (W.H.O.) की पत्रिका में पढ़ा कि यदि विश्व को रोगमुक्त करना है, तो केवल ऐलोपैथिक औषधियों के सहारे उसे रोगमुक्त नहीं किया जा सकता। उसके पास इतने साधन नहीं हैं। उस संस्थान के डाइरेक्टर जनरल ने सुझाया कि हम अपने उद्देश्य में तभी सफल हो सकते हैं, जब हम प्रचलित चिकित्सा की प्राचीन पद्धतियों को भी प्रोत्साहन दें। ओझा, मांत्रिक, तांत्रिक, आदिवासी भील, जर्रे आदि-आदि जिन-जिन पद्धतियों से चिकित्सा करते थे, उन सब पद्धतियों को भी समान रूप से व्यवहार में लायें। तभी संभव है कि सन् २००० तक रोगों का उन्मूलन किया जा सके। कुछ वर्ष पूर्व तक विज्ञान ने जिन पद्धतियों को अंधविश्वास मानकर छोड़ दिया था, आज उन्हीं पद्धतियों को वैज्ञानिक प्रोत्साहन दे रहे हैं। चमत्कार : अंधविश्वास मैं नहीं जानता, अंधविश्वास क्या होता है? जो आदमी जिस बात को नहीं जानता, उसके लिए अंधविश्वास कह देना बहुत सुविधा की बात है। बात को समाप्त करने का यह सबसे सहज तरीका है। चमत्कार और अंधविश्वास-ये दो शब्द है। इनका प्रयोग करो और बात समाप्त। चमत्कार क्या है? यह कोई झूठी बात नहीं है। चमत्कार वह होता है जिसे सब लोग नहीं कर पाते, कुछेक व्यक्ति ही कर पाते हैं। यदि सब करें, तो वह चमत्कार नहीं होता। वेदान्त ने कहा-'ब्रह्म सत्य है, जगत् मिथ्या है, माया है। जैनों ने कहा-'जगत् माया है, मृगमरीचिका है। यह बात कहां से आयी? मृगमरीचिका एक सत्य है, तभी यह बात कही जा सकती है, नहीं तो नहीं कही जा सकती है। कोई कहे, मृगमरीचिका झूठ है। रण में पानी न होने पर भी जो पानी दिखाई देता है, वह मृगमरीचिका है। यदि कहीं पर पानी का अस्तित्व न हो, तो मृगमरीचिका की बात नहीं आ सकती। आकाश-कुसुम-यह एक कल्पना है। यदि कुसुम का कहीं अस्तित्व न हो, तो आकाश-कुसुम जैसी झूठी कल्पना भी नहीं की जा सकती। 'बांझ का बेटा' -यह एक प्रयोग है। यदि कहीं बेटे का अस्तित्व न हो, तो 'बांझ का बेटा' -यह प्रयोग नहीं किया जा सकता। पानी का अस्तित्व है, फूल का अस्तित्व है, पुत्र का अस्तित्व है तभी मृगमरीचिका, आकाश-कुसुम और बंध्या-पुत्र-ये प्रयोग चलते हैं। इसका फलित यह है कि वास्तव में यदि कोई अनहोनी घटना घटित न हो, तो उसकी झूठी कल्पना भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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