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________________ वास्तविक समस्याएं और तनाव ३०६ हो रहे थे वे लोग जो वहां से हजारों मील दूर थे। वह भीषण युद्ध यूरोप की भूमि पर हो रहा था, तो भारत के अनेक क्षेत्रों में पक्ष और विपक्ष में बंटे लोग लड़ रहे थे। न कुछ लेना-देना, फिर भी पक्ष और विपक्ष के कारण बहुत झगड़े हो रहे थे। रंगमंच शुरू हो गया था। कहीं की घटना का कहीं प्रभाव हो जाता है। बीमारी कहीं होती है. इलाज और कहीं होता है। ऊंट बीमार था। आदमी ने लोहे की सलाई आग में गर्म की। जब वह तपकर अग्निमय बन गई, तब वह आदमी उसे लेकर ऊंट को दागने आया। आदमी ठिगना था। हाथ ऊंट की थूभ तक नहीं पहुंच सका। उसने पास में खड़े बैल को ही दाग दिया। बीमारी किसी के और चिकित्सा किसी की। __ मनुष्य का व्यवहार हर क्षेत्र में ऐसा ही हो रहा है। सर्वत्र विपर्यय ही विपर्यय है। विपर्यय केवल बीमारी की अवस्था के लिए ही नहीं होती, प्रवेश प्रत्येक क्षेत्र में है। बहुत सारी घटनाएं ऐसी होती हैं जिनका संबंध व्यक्ति से नहीं होता, फिर भी व्यक्ति उस घटना को देख-सुनकर दुःखी हो जाता है। घटना दुनिया के किसी भी कोने में घटित हो, आदमी उसे यहां बैठा हुआ भी भोग लेता है। इस दुनिया में इतने निमित्त हैं कि प्रत्येक निमित्त उपादान को जगा देता है और आदमी वैसा बन जाता है। अध्यात्म : तनावमुक्ति का उपाय इस संसार में व्यक्ति का जीवन जीना, अपने उपादान का जीवन जीना और निमित्तों के साथ जीना, फिर भी तनावग्रस्त न होना, यह असंभव घटना है। इस असंभव को हम संभव बनाने का प्रयत्न क्यों करें? तनाव का निवारण करने वाले स्वयं तनावग्रस्त हैं। ऐसी स्थिति में वे दूसरों को तनावग्रस्त कैसे कर सकते हैं? एक मनोचिकित्सक महिला डॉक्टर ने पत्र में लिखा-'प्रेक्षा-ध्यान की चर्चा से मुझे बहुत समाधान मिला। मैं स्वयं मानसिक तनाव से ग्रस्त थी। अब आपने जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया उसका प्रयोग कर मैं लाभान्वित हुई हूं और अब मैं अपने मरीजों को भी उस प्रयोग विधि से अवगत कराऊंगी।' जो व्यक्ति स्वयं तनाव से भरा है, वह दूसरों को तनावमुक्त कैसे कर पाएगा? आज हम जिस जगत् में जी रहे हैं, वह सारा जगत् तनाव से भरा पड़ा है। अध्यात्म का मार्ग यदि हाथ न लगे, तो दुनिया में ऐसा एक भी तत्त्व नहीं है जो तनाव से मुक्ति दिला सके। धर्म और अध्यात्म की यही उपयोगता है कि वे व्यक्ति को सारे तनावों से मुक्त करते हैं। समस्या क्या? कितनी? मनुष्य केवल रोटी के लिए नहीं जन्मा है। रोटी एक बहुत बड़ी समस्या है। बीमारी और अशिक्षा भी एक समस्या है। ये समस्याएं हैं, किन्तु एकमात्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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