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________________ २८४ अप्पाणं सरणं गच्छामि छुटकारा नहीं मिलता, लोगों का स्वास्थ्य नहीं बनता।' रोग का कारण केवल भोजन ही नहीं है, विचार और आचार भी उसके मुख्य कारण हैं। स्वास्थ्य की कामना करने वाले व्यक्ति को आहार से अधिक ध्यान विचार और आचार पर केन्द्रित करना पड़ता है। जब निर्विकल्प चेतना जागती है तब पता चलता है कि वास्तव में स्वास्थ्य क्या है? आज समाज के स्तर पर विषमता मिटाने और समता की स्थापना करने के अनेक प्रयत्न चलते हैं, किन्तु यथार्थ में समता क्या है, विषमता क्या है, इसका ज्ञान निर्विकल्प चेतना के जागने पर ही हो सकता है। निर्विकल्प चेतना का क्षण वास्तव में साधना की परम उपलब्धि का क्षण है। निर्विचार का संसार : निष्पत्तियां । __हमारे सारे प्रयत्न आरंभिक हैं। हम अभी यह न मानें कि रंगों का स्पन्दन या श्वास के स्पन्दन पकड़ में आ गए, चैतन्य केन्द्र और शरीर के स्पन्दन पकड़ में आ गए, हम ध्यान में सफल हो गए। यह तो अध्यात्म-यात्रा का प्रथम पड़ाव है। हमें यहां रुकना नहीं है। बहुत आगे जाना है। गन्तव्य दूर है। हमें चलते रहना है। इस कंपन और स्पन्दन वाले शरीर में, इन्द्रिय-चेतना, मनश्चेतना और चित्त की चेतना वाले शरीर में एक ऐसा तत्त्व भी है जो इन स्पन्दनों से परे है, इन चेतनाओं से परे है। उसका साक्षात्कार हमें इष्ट है। जितने क्षण हम निर्विकल्प चेतना में रहेंगे, जितने क्षण हम शून्य में रहेंगे, उन क्षणों में आत्म-साक्षात्कार होगा। आत्म-साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है-निर्विकल्प चेतना का निर्माण। अध्यात्म जगत् की यह एक महत्त्वपूर्ण देन है। भौतिक और व्यावहारिक जगत् में इसका कोई मूल्य नहीं है। इस सीमा पर पहुंचकर ही हम भौतिक जगत् और अध्यात्म जगत् के अन्तर को समझ सकते हैं। अव्यथ चेतना जिस दुनिया में निर्विचार और निर्विकल्प का महत्त्व है, सचमुच वह कोई दूसरे प्रकार की दुनिया है। जब यह चेतना जागती है तब सारी असमाधियां दूर हो जाती हैं। सबसे पहला सुफल होता है-अव्यथ चेतना की जागृति। निर्विकल्प चेतना में जीने वाला व्यक्ति निर्व्यथ जीवन जीता है। उसकी चेतना में व्यथा नहीं होती। उसके सामने कितना ही प्रतिकूल वातावरण उपस्थित हो, भयंकर परिस्थितियां और समस्याएं हों, वह कभी व्यथित नहीं होता। उसका चित्त सदा अव्यथ रहता है। वह घटना को जानता है, पर व्यथित नहीं होता। उस पर घटना का कोई असर नहीं होता। जैसे सोये हुए व्यक्ति के सामने घटने वाली घटना का उस पर कोई असर नहीं होता वैसे ही निर्विकल्प चेतना में जीने वाले व्यक्ति पर घटनाओं का कोई असर नहीं होता। कोई भी घटना उसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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