________________
चित्त-शुद्धि और लेश्या-ध्यान २७५
मिलनी-यह ध्यान की परिपूर्णता नहीं है। ये तो प्रारंभिक बातें हैं। ध्यान की व्यावहारिक कसौटी होगी कि ध्यान करने वाले का जीवन बदले, उसका व्यवहार
और चरित्र बदले । यदि यह होता है तो समझना चाहिए कि व्यक्ति को ध्यान उपलब्ध हो गया। ध्यान करने वाले व्यक्ति की आतंरिक कसौटी है-आभामंडल का परिष्कार । जिसका आभामंडल निर्मल हो गया, लेश्याएं विशद्ध हो गईं, भावधारा शुद्ध हो गई तो समझा जा सकता है कि व्यक्ति ध्यान करता है। इसीलिए प्रेक्षा-ध्यान की पद्धति में एक कसौटी के रूप में और आने वाले अवरोधों को समाप्त करने के लिए लेश्या-ध्यान का बहुत बड़ा महत्त्व है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org