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२६६ अप्पाणं सरणं गच्छामि
भी कोई सूक्ष्म या सूक्ष्मतम शरीर और है, यह बात उसे ज्ञात नहीं है और वह इस तथ्य को मानने के लिए भी सावकाश नहीं है । मेडिकल साइन्स इस स्थूल शरीर की सीमा में ही ज्ञान कर सका है।
'स्थूल
कुछेक वैज्ञानिकों ने ऐसे अनुसंधान किए हैं जिनके आधार पर वे शरीर से आगे की बात कहने में सक्षम हैं ।
लंदन के एक डॉक्टर डब्लू. एच. जे. मीलर ने एक पुस्तक लिखी है- 'द ह्यूमन एनाटॉमी । उसमें उन्होंने लिखा है कि अनेक रोगियों के परीक्षण के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि मनुष्य के इस भौतिक शरीर में एक ऐसा शरीर और है जो प्रकाश का पिंड है, विद्युत्मय है, तेजोमय है ।
रूस के वैज्ञानिकों ने अनेक परीक्षणों के पश्चात् यह प्रतिपादन किया कि इस स्थूल शरीर में एक विद्युत्-शरीर भी है । यह विद्युत्-शरीर, प्रकाश-शरीर मृत्यु के समय देखा जा सकता है। जब आदमी मरता है तब वह स्थूल शरीर को छोड़कर बाहर निकलता है। उसे बाहर देखा जा सकता है । जीवित प्राणियों में भी यह देखा जा सकता है और इसके फोटो भी लिये जा सकते हैं।
लेश्या का सिद्धांत स्थूल शरीर के परे का सिद्धान्त है । हम जब लेश्या के विषय में कुछ जानने का प्रयत्न करते हैं, उसका अर्थ होता है कि इस औदारिक शरीर की सीमा को पार कर, सूक्ष्म शरीर की सीमा में प्रवेश हो रहा है। इस स्थूल शरीर के भीतर, इसी के पूरे आकार का, एक शरीर फैला हुआ है। उसे तैजस शरीर, विद्युत्-शरीर कहा जाता है। वह प्रकाश का शरीर है। उसके सारे परमाणु प्रकाशमय हैं । वे बहुत तरल हैं 1
जैव प्लाज्मा
इस दृश्य जगत् में चार प्रकार के द्रव्य हैं - तरल, ठोस, गैसीय और प्लाज्मा । आज वैज्ञानिकों ने यह प्रतिपादन किया कि ये चार ही प्रकार नहीं होते । एक और प्रकार भी है। उसे जैव प्लाज्मा कहा जाता है । वह जैव प्लाज्मा मृत्यु के बाद भी नष्ट नहीं होता । वह विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्रों में चला जाता है 1
तैजस शरीर भी मृत्यु के बाद नष्ट नहीं होता । एक दृष्टि से इसे अमर कहा जाता है। जब तक मनुष्य इस शरीर से सर्वथा मुक्त नहीं हो जाता, तब तक यह तैजस शरीर कभी नहीं मरता । मनुष्य अनादिकाल से शरीर धारण करता आ रहा है। एक स्थूल शरीर को छोड़ता है और दूसरे स्थूल शरीर को धारण कर लेता है। उसने कितने शरीर बदले हैं, कितनी बार बदले हैं । किन्तु इतना सब होने पर भी उसके पास एक तैजस शरीर है जो सदा से उसके साथ आ रहा है। वह नहीं मरता, नहीं बदलता । इस दृष्टि से वह अमर है, सदा साथ रहने वाला है । तैजस शरीर से भी सूक्ष्म है कर्म शरीर । वह भी प्राणी का साथ नहीं छोड़ता । वह भी कभी नहीं मरा। उसने जीव का साथ आज तक
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