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२३६ अप्पाणं सरणं गच्छामि
केन्द्रों की, बिन्दुओं की खोज की। चिकित्सा-विज्ञान, मस्तिष्क-विद्या का विज्ञान और अध्यात्म का विज्ञान - तीनों बिन्दुओं के आस-पास घूम रहे हैं। हमें शरीर को जानना इसलिए जरूरी है कि साधना करने वाले व्यक्ति को क्षमाशील और सहिष्णु होना चाहिए। उसके कषाय कम होने चाहिए। उसकी आदतों में परिवर्तन होना चाहिए। क्रूरता कम होनी चाहिए। जितने दोष माने जाते हैं, बुराइयां मानी जाती हैं, वे समाप्त होनी चाहिए। धर्म का यही काम है, साधना का यही प्रयोजन है ।
वैज्ञानिक युग में धर्म
इस वैज्ञानिक युग में धर्म मखौल बना हुआ है । मखौल, कि पांच मिनट पहले तो किसी आदमी का गला काटा, उसके बाद वीतराग बन गया ।
कल ही एक भाई आया मेरे पास । प्रोफेसर है एक कॉलेज में । उसने कहा- मुझे आते हुए संकोच होता है । संकोच इसलिए कि मैं झूठ बोलता हूं, नहीं रह सकता झूठ बोले बिना और दो मिनट के बाद मैं धार्मिक बनूं, आगे जाकर बैठूं । बदल जाऊं तब तो ठीक है, आज जाऊं साधुओं के पास और कल बदल जाऊं तब तो बहुत अच्छी बात है । जाने का अर्थ है । पर रोज झूठ बोलता ही चला जाऊं और रोज धर्म-स्थान में भी जाता रहूं, यह विडम्बना की बात है। इससे बड़ी और क्या विडम्बना होगी ? आज धर्म के सामने चुनौती है, धर्म के सामने एक प्रश्न चिह्न है कि आदमी रोज धर्म करता जाता है और बुराइयां भी वैसी की वैसी रोज करता चला जाता है। सीख लेता है धर्म के द्वारा । चतुराई बढ़ती है, कुछ ज्ञान मिलता है तब और निपुण हो जाता है। इस धर्म से कुछ भला होगा, बात समझ में नहीं आती। ध्यान करने का, साधना करने का एक प्रयोजन है कि जीवन की बुराइयां समाप्त होनी चाहिए, आदतें बदलनी चाहिए, नशे की आदत छूटनी चाहिए, व्यसन छूटने चाहिए। एक व्यक्ति का पूरा रूपान्तरण होना चाहिए। सारा व्यक्तित्व बदल जाना चाहिए। पता चले यह धार्मिक आदमी है। पता चले यह आस्तिक आदमी है। पता चले यह आत्मा को मानने वाला व्यक्ति है। यह सूक्ष्म-सत्यों को जानने वाला व्यक्ति है । यह परम चैतन्य में आस्था रखने वाला व्यक्ति है । व्यवहार से जब कोई भी पता न चले किसी को कि यह धार्मिक है, तो धर्म वहां अर्थशून्य हो जाता है ।
चरित्र के घटक- केन्द्र और ग्रन्थियां
चरित्र बदले, स्वभाव बदले और व्यवहार बदले - तीनों बातें बहुत आवश्यक हैं । इन तीनों बातों को बदलने के लिए इन केन्द्रों को खोजना बहुत जरूरी है । हमारा जो भी चरित्र होता है वह मस्तिष्कीय केन्द्रों और ग्रन्थियों के द्वारा बनता है । ग्रन्थियां स्राव करती हैं हाग्मोन्स का निर्माणाली हैं। उसन
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