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________________ चित्त-शुद्धि और शरीर-प्रेक्षा २३५ फंक्शन क्या है? उसके सारे नर्व-ग्राही और संवेदी किस प्रकार क्रिया करते हैं। इन सबको एक कुशल चिकित्सक अच्छी प्रकार जानता है, किन्तु इन नाड़ियों से किस प्रकार प्राण की धारा प्रवाहित की जा सकती है और कहां ले जायी जा सकती है, चित्त-वृत्तियों को कहां-कहां ले जाया जा सकता है, यह बात चिकित्सा-शास्त्र का विषय नहीं है। ग्रन्थि-तन्त्र ___ हमारे शरीर में दूसरा महत्त्वपूर्ण संस्थान है-ग्रन्थि-तन्त्र। दो प्रकार की ग्रन्थियां हैं। एक हैं-अन्तःस्रावी ग्रन्थियां, दूसरी हैं बहिःस्रावी ग्रन्थियां । लीवर बहिःस्रावी ग्रन्थि है। पिच्यूटरी, पिनियल, एड्रीनल-ये सारी अन्तःस्रावी ग्रन्थियां हैं, जिनका स्राव सीधा रक्त में मिल जाता है, बाहर नहीं आता। यह समूचा ग्रन्थि-तन्त्र बहुत महत्त्वपूर्ण है। आज का वैज्ञानिक, चिकित्सा-शास्त्री ग्रन्थियों के बारे में बहुत आगे बढ़ा है और इस विषय में काफी जानकारी बढ़ी है जो कि अध्यात्म की जानकारी के काफी निकट पहंच गई है। शरीर का तीसरा महत्त्वपूर्ण तन्त्र है-विद्युत-तंत्र, हमारे शरीर की बिजली। प्रत्येक अवयव को काम करने के लिए बिजली की जरूरत होती है। हर कोशिका को बिजली की जरूरत होती है। कोई भी सजीव कोशिका बिजली के बिना अपना काम नहीं चला सकती। सारा शरीर संचालित हो रहा है बिजली के द्वारा। पुराने आचार्यों ने जिसे प्राणधारा कहा, उसका ही एक दूसरा रूप है यह विद्युत-तंत्र। हाथ, पैर-ये काम के तो बहुत हैं किन्तु इनका इतना मूल्य नहीं है। ये केवल काम करने वाले हैं, किन्तु काम का संचालन करने वाले नहीं हैं। हमारे शरीर में जिनका मूल्य है उनमें तीन मुख्य हैं-नाड़ी-संस्थान, ग्रन्थि-संस्थान और विद्युत् का प्रवाह, प्राण-प्रवाह। ये सारे संचालन करने वाले हैं, संचालक हैं। हमें साधना की दृष्टि से इन सबको जानना इसलिए जरूरी है कि नाड़ी-संस्थान के माध्यम से हम सारे केन्द्रों को जान सकते हैं। मस्तिष्क और केन्द्र यह मस्तिष्क केन्द्रों से भरा पड़ा है। क्रोध का केन्द्र मस्तिष्क में है। लोभ का केन्द्र मस्तिष्क में है। भय, घृणा, उत्तेजना, वासना, स्वार्थ, झगड़ालूपन, वाद-विवाद करना, विभिन्न रुचियों का होना-इन सारी बातों के केन्द्र इस मस्तिष्क में हैं। मस्तिष्क के उभरे हुए स्थानों को देखकर मस्तिष्क-विद्या का विशेषज्ञ बहुत सारी भविष्यवाणियां कर देता है कि आदमी कैसा है? इसका चरित्र कैसा है? इसका व्यवहार कैसा है? मस्तिष्क-विद्या के विशेषज्ञों ने इन केन्द्रों की खोज की और आज की चिकित्सा ने भी मस्तिष्क के केन्द्रों की खोज कर ली। हाइपोथेलेमस मस्तिष्क का एक हिस्सा है। वह तापमान को नियंत्रित करता है। उसमें नींद का केन्द्र है, भूख का केन्द्र है। विज्ञान ने भी बहुत बड़े Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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