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________________ २३४ अप्पाणं सरणं गच्छामि हो सकता। यह सचाई है, इसे हम अस्वीकार नहीं करें। किन्तु एक कठिनाई हो गई कि सचाई का प्रतिपादन करने वालों ने वैराग्य की दृष्टि से किया था और हमने समूचे शरीर को ही निकम्मा मान लिया। ऐसा मान लिया मानो शरीर तो छोड़ने योग्य ही है, अपवित्र है, खराब है, गन्दा है, निन्दनीय है, इससे हमें कोई लेना-देना नहीं। हमें तो आत्मा चाहिए। आत्मा को प्राप्त करना है, शरीर से हमें कोई मतलब नहीं। यदि हम यह कल्पना करें कि शरीर और श्वास को समझे बिना, प्राणधारा को जाने बिना तथा सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म शरीर के रहस्यों को ज्ञात किए बिना ही आत्मा तक पहुंच जाएंगे तो यह अति कल्पना होगी। पांच महीने नहीं, पांच जन्म तक भी हम नहीं पहुंच सकेंगे। शरीर को इसीलिए समझना जरूरी है। फिर वह माध्यम बनता है आगे तक पहुंचने के लिए। शरीर का मूल्यांकन ___ हमारा शरीर बहुत मूल्यवान् है। इतने रहस्य भरे पड़े हैं। वह रहस्य एक साधक ही जान सकता है। एक डॉक्टर भी नहीं जान सकता। एक कुशल शल्य-चिकित्सक भी उन रहस्यों को नहीं जानता जो अध्यात्म के आचार्यों ने खोजे हैं। श्वास बाएं नथुने से आता है, दाएं नथुने से आता है। दोनों नथुनों से आता है। क्यों आता है और क्या परिणाम होते हैं, कोई डॉक्टर नहीं बता सकता। परिणाम निश्चित है कि बाएं से आप श्वास लें, शरीर में ठंडक व्याप्त हो जाती है। दाएं से श्वास लें, शरीर में गर्मी व्याप्त हो जाएगी। दोनों से श्वास लें, सुषुम्ना चले, आपका चित्त शान्त हो जाएगा, विकल्प शान्त हो जाएंगे। क्यों होता है ऐसा, कोई भी शल्य-चिकित्सक या फिजीशियन इसकी व्याख्या नहीं दे सकता। अध्यात्म का मर्मज्ञ इसकी व्याख्या दे सकता है। अन्तर्यात्रा के रहस्य हृदय में प्राण का एक प्रकार का प्रवाह है, नासान में प्राण का एक प्रकार का प्रवाह है, नाभि में प्राण का एक प्रकार का प्रवाह है, गुदामूल में प्राण का एक प्रकार का प्रवाह है और हमारी समूची त्वचा में प्राण का एक प्रकार का प्रवाह है। प्राण के कई प्रवाह हैं। कोई भी डॉक्टर नहीं जानता कि ये प्राण के प्रवाह हैं? हैं या नहीं हैं या क्यों हैं, नहीं जानता इस बात को। अभी यह विषय ही नहीं बना है। ये सारी बातें खोजी गईं साधना की दृष्टि से, अन्तर की यात्रा करने के लिए। सप्त धातुमय शरीर को जानने मात्र से भीतर की यात्रा नहीं हो सकती, भीतर के दरवाजे नहीं खुल सकते। भीतरी दरवाजों को खोलने के लिए, भीतर की यात्रा करने के लिए इन सारे रहस्यों को अनावृत करना, उद्घाटित करना परम आवश्यक होता है। हमारे शरीर में नाड़ी-तन्त्र है, नाड़ी-तन्त्र के बारे में आज का चिकित्सक जितनी अच्छी प्रकार से जानता है, उतना कोई दूसरा नहीं जानता। उनका फंक्शन क्या है? नर्वस सिस्टम का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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