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चित्त-शुद्धि और समाधि २१६
निर्विचार ही ध्यान नहीं होता, विचार भी ध्यान होता है। विकल्प भी ध्यान होता है। जब विकल्प राग-द्वेष से शून्य होता है तब वह विकल्प भी ध्यान होता है। वह विचार भी ध्यान है जिसमें राग-द्वेष नहीं है। अहंकार और ममकार की तरंगों से मुक्त प्रत्येक विकल्प और विचार ध्यान है। जिस विचार में प्रियता
और अप्रियता की पुट न हो वह ध्यान है। इसी की संज्ञा है-विचय-ध्यान। यह ध्यान की महत्त्वपूर्ण पद्धति है। यह है-सत्य को खोजना, केवल यथार्थ पर विचार करना, चिन्तन करना, यथार्थ का अनुसंधान करना। इसका अर्थ है-एक साथ चित्त की सारी वृत्तियों को सत्य की खोज में लगा देना, नियोजित कर देना। यह विचय-ध्यान विघ्नों की महानदियों को पार करने के लिए एक पृष्ट आलंबन है। इस विचय-ध्यान के द्वारा स्मृतियों के सारे द्वार बन्द हो जाते हैं, केवल एक स्मृति या विचार का आलंबन होता है, शेष सारी स्मृतियां या विचार बन्द हो जाते हैं। एक विकल्प का आलंबन होता है, शेष सारे विकल्प रुक जाते हैं। एक विकल्प पर, एक विचार पर, एक स्मृति पर होने वाली एकाग्रता विचय-ध्यान है। यह यथार्थ को जानने की बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह सत्य के खोज की बहुत ही महत्वपूर्ण पद्धति है। जब मनुष्य अहंकार
और ममकार से हटकर वस्तु के स्वभाव को उपलब्ध होता है, यथार्थ को जानता है तब देखने-जानने की क्षमता बहुत बढ़ जाती है। वह जो जैसा है उसे वैसा जान लेता है। प्राचीन साधकों और दार्शनिकों ने इसी विचय-ध्यान के द्वारा सत्य को खोजा था। आज के वैज्ञानिक भी इसी पद्धति के द्वारा सत्य तक पहुंचते हैं। वस्तु-जगत् में जितनी घटनाएं घटित होती हैं, उनका ज्ञान विचय-ध्यान के द्वारा ही हो सकता है। प्राचीन साधकों और अध्यात्म-योगियों ने वस्तु-सत्यों की, वस्तु के सूक्ष्मतम रहस्यों की खोज विचय-ध्यान के माध्यम से की थी। वस्तु का स्थूल रूप हमारे सामने होता है। उसे हम देख सकते हैं, जान सकते हैं, किन्तु उसका सूक्ष्म-स्वरूप ज्ञात नहीं होता। उस पर ध्यान केन्द्रित करने पर ही उसके अन्तर-स्वरूप का ज्ञान हो सकता है। ऊपर केवल छिलका होता है। उसका ज्ञान हर व्यक्ति को हो सकता है। जब तक छिलके के भीतर नहीं देखा जाता, तब तक सार का पता ही नहीं चलता। हमें आपातदर्शन में जो दिखाई देता है, वह वस्तु का ऊपरी भाग होता है। वस्तु उतनी ही नहीं होती, उसकी गहराई उतनी ही नहीं होती जितनी इन चर्म चक्षुओं से दीखती है। सारी गहराइयों को नापने के लिए बहुत गहराई में जाना पड़ता है। सब पदार्थ ध्येय __मेरे सामने भीत है। उसका रंग, उसकी लंबाई-चौड़ाई दिखाई दे रही है। मैं स्पष्ट देख रहा हूं कि वह सफेद है, इतनी लंबी-चौड़ी है। किन्तु यदि मैं इसे लगातार ५-१० घंटा देखता रहूं तो मुझे और भी बहुत कुछ दिखाई देगा जो
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