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________________ १५४ अप्पाणं सरणं गच्छामि यह निर्मलता की घटना जब घट जाती है, चित्त प्रसन्न बन जाता है तब एकाग्रता सधती है। चित्त पहले एकाग्र नहीं होता। एकाग्र हो सकता है चित्त। निशाना साधने में क्या चित्त की एकाग्रता नहीं होती? एक शिकारी निशाना साधता है, कितना एकाग्र होता है! जब एक व्यक्ति किसी को डराना चाहता है, कितना एकाग्र होता है! एकाग्र होना ही कोई अच्छी बात नहीं है। किन्तु प्रसन्नता, समता और वैराग्य के कारण जो चैतन्य का अनुभव होता है, इस चैतन्य के अनुभव के प्रति एकाग्र होना अच्छी बात है। वह एकाग्रता होती है तब हमें वास्तव में अपनी भीतरी संपदाओं का पता चलता है और आदमी अपने को पहचान लेता है। ___एक ग्रामीण का केस चल रहा था कोर्ट में। प्रतिपक्षी वकील ने पूछा-इतनी भैंसे थीं, उनमें से तुमने अपनी भैंस को कैसे पहचाना? उसने कहा-'इसमें क्या कठिन बात है। कोई कठिनाई नहीं। जैसे इतने वकील खड़े हैं, मैंने अपने वकील को पहचान लिया, वैसे ही मैंने अपनी भैंस को पहचान लिया। कोई कठिनाई नहीं हुई। अपनी पहचान पहचानने की एक भूमिका आती है, आदमी पहचान लेता है। फिर हजारों-हजारों के अस्तित्व में से अपने को पहचान लेता है। कोई भी आदमी इन पदार्थों की दुनिया से बाहर नहीं जा सकता। किन्तु इन पदार्थों से भरे हुए जगत् में भी अपने आप को पहचान लेता है, अपने अस्तित्व को पहचान लेता है, अपनी भीतरी सारी सम्पदाओं को पहचान लेता है। जटिल प्रश्न यही है कि हम तब तक समाधि में नहीं जा सकते, चैतन्य के अनुभव में नहीं जा सकते, जब तक अपने आपको पहचानने की दिशा में नहीं चलते। हमारी कठिनाई है कि हमारा सारा आकर्षण दूसरों की ओर लगा हुआ है। जब तक वह अपनी ओर नहीं जाता, तब तक बात बनती नहीं है। एक बड़ी मार्मिक कहानी है। एक सेठ यात्रा कर रहा था। संयोग मिला कि ठग साथ में हो गया। उसे पता लग गया था कि सेठ के पास हीरे हैं। वह उन्हें हड़पना चाहता था। वह सेठ के पीछे पड़ गया। सेठ को पता लग गया कि यह ठग है। क्या करे, उपाय नहीं है कोई। सेठ जिस स्टेशन पर उतरता है, वह ठग भी उतर जाता है। जहां आकर ठहरता है, वहां ठहर जाता है। पीछा नहीं छोड़ता। सेठ ने सोचा, बुद्धि से काम लेना चाहिए, नहीं तो ठगा जाऊंगा। सेठ को पानी पीने जाना था। ठग ने कहा-“जाइए, मैं आपके सामान की रखवाली करूंगा।" सेठ ने कहा-"ठीक है, तुम पहले पता कर आओ, पानी कहां मिलता है। फिर मैं जाऊंगा।" ठग चला गया खोज करने के लिए। इतने में सेठ ने अपने पास जो हीरे थे, वे ठग की पोटली में बांध दिये। ठग पानी का पता लगाकर आया, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003126
Book TitleAppanam Saranam Gacchhami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size15 MB
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