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१२८ अप्पाणं सरणं गच्छामि
समाधि के तीन साधन
ग्रन्थि कैसे खुले, यह एक प्रश्न है। समाधि और संयम कैसे प्राप्त हो, इसे समझना है। समाधि को प्राप्त करने के अनेक साधन हैं। उनमें तीन मुख्य हैं-वैराग्य, एकाग्रता और चित्त की प्रसन्नता। ये तीन बड़े सोपान हैं, पर इन पर आरोहण कैसे किया जाए? सोपान-श्रेणी ऊपर तक पहुंचाती है, पर प्रश्न है कि उस पर चढ़ा कैसे जाए? प्रश्न वैसा ही बना रह जाता है।
एक आदमी नौका पर चढ़ा। कुछ अंधेरा था। उसने नाव को खेना प्रारंभ किया। नाव खेता रहा। रात बीतती गई। रात-भर नाव खेता रहा। कुछ उजाला हुआ। उसने सोचा, दूसरा तट आ गया है। वह नौका से उतरा। उसने देखा कि तट वही है जहां से वह नौका पर चढ़ा था। रात-भर नौका खेता रहा, पर पहुंचा कहीं नहीं। उसने ध्यान से देखा। नौका एक रस्से से बंधी थी। वह उस रस्से को खोलना भूल गया था। नौका आगे नहीं चली। वह कहीं नहीं पहुंचा।
आदमी के जीवन में ये घटनाएं घटित होती रहती हैं। वह अपनी जीवन-नौका को खेये जा रहा है। वह नौका रस्से से बंधी हुई है। आदमी उस रस्से को खोलना भूल गया है। वह मानता है कि नौका चल रही है। फिर भी वह कहीं नहीं पहुंच पा रहा है।
इसी प्रकार समाधि की बात वहीं की वहीं रह गई है। आदमी जानता हैवैराग्य से समाधि घटित होती है, एकाग्रता से समाधि घटित होती है और चित्त की प्रसन्नता से समाधि घटित होती है। परंतु मूल प्रश्न है कि वैराग्य कैसे आए? पदार्थ के प्रति होने वाला राग कैसे मिटे? एकाग्रता की निष्पत्ति कैसे हो? चित्त की प्रसन्नता कैसे बढ़े? संवेग कैसे कम हो?
हम इन प्रश्नों का समाधान ढूंढें। मैं मानता हूं कि जिस व्यक्ति ने श्वास-नियंत्रण करना सीख लिया, उसमें वैराग्य, एकाग्रता और चित्त की प्रसन्नता-ये तीनों स्वतः फलित होंगे। जो श्वास-नियंत्रण के सूत्र को नहीं जानता उसमें न वैराग्य फलित होता है और न एकाग्रता तथा चित्त की प्रसन्नता फलित होती है। ___ मनोविज्ञान के संदर्भ में हम समाधि को समझें। मनोविज्ञान का सिद्धान्त है कि जब तक संवेदन, विचार, संवेग, इमोशन और पेशन पर नियंत्रण नहीं होता, तब तक समाधि या मन की शान्ति घटित नहीं होती।
प्राचीन भाषा में जिसे वैराग्य कहा गया, मनोविज्ञान उसे संवेदन-नियंत्रण कहता है। विचार का नियंत्रण एकाग्रता है और संवेग का नियंत्रण चित्त की प्रसन्नता है। मस्तिष्क : संवेदन-नियंत्रण केन्द्र
संवेदन का संबंध हमारी इन्द्रियों से है, मस्तिष्क से है। संवेदनों के सारे
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