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________________ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन आनन्द लहरी में १०२ पद्य शिखरिणी में और अंतिम पद्य वसंततिलक छन्द में विरचित है। मोहमुदगर में १७ पद्य हैं। इसमें मायामय विश्व से अलग होकर ब्रह्म में लीन होने के लिये उपदेश दिया गया है। अपराध भंजन में १७ पद्यों में भगवान् शिव के सगुण रूप का चित्रण किया गया है। भक्त धारणा-ध्यानादि के द्वारा समाधि में लीन होकर सदाशिव का साक्षात्कार कर उनकी शरण में जाकर अपने अपराधों की क्षमायाचना करता है ---- उन्मत्तयावस्थया त्वां विगतकलिमलं शंकरं स्मरामि । क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिवशिव भोः श्रीमहादेव शम्भो ।' इस प्रकार शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा, विष्णु, हनुमान एवं अन्य देवीदेवताओं की भी स्तुति की है। उपर्युक्त स्तोत्र काव्यों के अतिरिक्त आचार्य कुलशेखर विरचित २२ पद्यात्मक विष्णु से सम्बन्धित कुन्दमालास्तोत्र, यामुनाचार्य का अलबंदारस्तोत्र, लीला शुक्र का कृष्ण कर्णामृत स्तोत्र आदि प्रसिद्ध हैं । वाद के कवियों, भक्तों ने भी भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिये स्तोत्र की रचना की है । विभिन्न सम्प्रदाय के आचार्यों ने अपने अनुसार स्तुति काव्य का विरचन किया है-- १. शिव से सम्बन्धित स्तोत्र २. भगवती दुर्गा एवं उनके विभिन्न रूपों से सम्बन्धित स्तोत्र ३. विष्णु एवं उनके अवतारों से सम्बन्धित ४. जैन साहित्य में वर्णित स्तुतियां ५. बौद्ध वाङमय में निरूपित भगवान बुद्ध की स्तुतियां १. अपराधभंजन ---१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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