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________________ २५ श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन जिस प्रकार गाएं अपने गोष्ठों की ओर जाती है उसी प्रकार मेरी स्तुतियां तुम्हारी ओर जा रही है। इस प्रकार ऋग्वेदीय स्तुतियों में तथ्य निरूपण के अतिरिक्त काव्य तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अन्य वेदों में निबद्ध स्तुतियां यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी स्तुतियां पायी जाती हैं । यजुर्वेद की वाजसनेयी संहिता ४१ वां अध्याय ऋग्वेद का पुरुष सूक्त है। यह स्तुति की दृष्टि से महनीय है। यजुर्वेद का अन्तिम अध्याय ईशावास्योपनिषद् है । इसमें परमप्रभु की सर्वव्यापकता का प्रतिपादन किया गया है । आठवें मन्त्र में प्रभु के निर्गुण और सगुण दोनों रूपों का प्रतिपादन हुआ हैस पर्यगात् शुक्रमकायमव्रणमस्नाविरंशद्धमपापविद्धम् । कविर्मनीषी परिभूः स्वयमूर्याथातथ्यतोऽर्थान् ब्यद्धात् शाश्वतीभ्य समाभ्यः। प्रभु प्राकृत गुणों से विहीन होने के कारण निर्गुण और अपने गुणों से युक्त होने के कारण सगुण कहलाता है। मन्त्र में अकायम्, अव्रणम्, अस्नाविरम्, अपापविद्धम् आदि शब्दों के द्वारा प्रभु के निर्गुण रूप का वर्णन किया गया है और शुक्रम्, शुद्धम्, कवि, मनीषी, परिभूः और स्वयंभूः शब्दों के द्वारा उसके सगुणत्व का प्रतिपादन किया गया है । १६ वें मन्त्र में कहा गया है कि हे प्रभु ! हमें ऐश्वर्य के सम्पादन के लिए सुपथ से ले चलो। हमारे अन्दर जो इस विषय में वक्रतापूर्ण, छल-छद्म की बातें आती हैं। पापमयी प्रवृत्ति जागृत होती है उसे हमसे दूर कर दो। आपकी चरण शरण में रहते हुए, हम सदैव सत्पथ पर चलकर ही ऐश्वर्य को प्राप्त करें अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि विद्वान् । युयोध्यास्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठान्ते नमोक्तिं विधेम ॥' ३४ वें अध्याय का शिव संकल्प सूक्त में स्तुति के सभी तत्त्व समाहित है । उसमें मन की स्थिरता एवं कल्याणकारी रूप की कामना की गई है। १६ वें अध्याय में रूद्र की स्तुति की गई है। इस प्रकार यजुर्वेद में अनेक भक्तों ने भक्ति भावित हृदय से अपने प्रभु की स्तुति की है। सामवेद में अनेक स्तुतियां संकलित हैं । इसमें ऋग्वेदिक ऋचाओं का संग्रह है। ऋक् मन्यों के ऊपर गाए जाने वाले गान ही साम शब्द के वाच्य हैं । यज्ञ के अवसर पर जिस देवता के लिए हवन किया जाता है, उसे बुलाने १. ऋग्वेद १.२५.३, ४, १६ २. यजुर्वेद ४७.८ ३. तत्रैव ४०.१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003125
Book TitleShrimad Bhagawat ki Stutiyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Pandey
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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